________________ 566 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 प्रेरणा देते हैं / उनकी प्रेरणा से प्रतिदिन कम से कम 108 नवकार का जप करने की आराधना में सैंकड़ों आत्माएँ जुड़ गयी हैं / हार्ट एटेक- हरपीस और केन्सर जैसे असाध्य रोंगों को केन्सल करवानेवाले ओ आयंबिल तप और महामंत्र नवकार जप ! आपको बार बार नमस्कार !... जय जिनशासन ! धन्य तपस्वी ! उपर्युक्त श्रमणीरत्ना का शुभ नाम प्रातःकाल में सूर्योदय से पहले होनेवाले समय को सूचित करता है / 3 नामों से प्रसिद्ध गच्छ को वे अलंकृत कर रही हैं / 293/ तप-जप से केन्सर को केन्सल करते हुए उत्कृष्ट आराधक साध्वीजी 16 वर्ष की उम्र में दीक्षित होकर आज 50 वर्ष के दीक्षा पर्यायवाले एक उत्कृष्ट आराधक, और जिनशासन के शणगार ऐसे अणगार साध्वीजी भगवंत की आराधनाओं की बातें भावपूर्वक पढो / पिछले 23 वर्ष से लेकर अब आजीवन काप में साबुन का उपयोग न करने की प्रतिज्ञा है / प्रतिदिन नवकार की 51 पक्की मालाओं का जाप करते हैं / संभव हो वहाँ तक एक ही बैठक में 6-7 घंटे तक जाप करते हैं / 24 घंटों में केवल ढाई घंटे (रात्रि 10 से साढे बारह बजे तक) ही आराम करते हैं। उन्होंने 300 से अधिक अठ्ठम किये हैं / उनको कैंसर हुआ, तब दवा न लेते हुए 81 आयंबिल और 15 चौविहार अठ्ठम तप के साथ नवकार महामंत्र का जप करने से केन्सर केन्सल हो गया था। खून की उल्टी होने से केन्सर के कीटाणु दूर हो गये थे / इन्होंने लगातार 500 आयंविल किए थे तब भी आयंबिल खाते में से न बोहरते हुए