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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 563 (5) पारणे के दिनों में भी प्रतिदिन एक प्रहर चौविहार एवं 2 प्रहर तिविहार करना / (6) प्रतिदिन दो घंटा ध्यान एवं पाँच घंटा मौन करना / (7) प्रतिदिन दो हजार गाथाओं का स्वाध्याय करना / (8) यावज्जीवन एलोपैथिक (इंजेक्शन वर्जित), होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक औषधिका त्याग / ये संकल्प जहाँ एक ओर आपके प्रबल मनोबल के साक्ष्य हैं, वहीं दूसरी और संयम और अदम्य साहस के प्रतीक हैं। गृहस्थ जीवन में भी आपने अपने पति आदि से दीक्षा की अनुमति प्राप्त करने के लिए 6 महिनों से अधिक समय तक केवल रोटी और पानी का आहार लिया / तेले और अठाई के पारणे में भी रोटीपानी के सिवाय कुछ भी नहीं खाया / ___तप-त्याग-तितिक्षा के साथ आपमें सेवा और गुरु समर्पण आदि गुण भी अत्यंत अनुमोदनीय हैं / इन गुणों का विशेष वर्णन उपर्युक्त किताब से ज्ञातव्य है / आपने अपने जीवन में 32 से अधिक चातुर्मास मेवाड़ में और बाकी के सारे चातुर्मास राजस्थान में ही किये हैं / इस वर्ष आपका चातुर्मास सुजानगढ (जि. नागौर-राज.) में है। आपके 3 अक्षरों के नाम में प्रथम दो अक्षर एक रत्नविशेष को सूचित करते हैं / आप के उपर जिन गणनायक की कई वर्षों तक कृपादृष्टि रही उनका नाम एक पौधे को सूचित करता है जौ वैष्णवों में खास पूजनीय माना जाता है। वर्तमान में आप के गणनायक का उपनाम महाप्रज्ञजी है, जिन्होंने कई आध्यात्मिक किताबें लिखी है और ध्यानपद्धति का संकलन भी किया है / प्रिय पाठकवृंद ! अब तो आप पहचान गये होंगे इन महान आत्माओं को ?
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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