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________________ 562 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 की आछ के आगार से 182 दिन के उपवास किए / इस दीर्ध तप की परिसम्पन्नता से 7 दिन पूर्व आपने निम्नोक्त प्रकार से 7 संकल्प अभिग्रह के रूप में धारण किए / _ "(1) तेरह साध्वीयाँ मिलकर सूत्र की कुछ गाथाएँ सुनाएँ। (2) जब मैं 21 नवकार का ध्यान करूं तब कोई साध्वी मेरे हाथ में कुछ दे। (3) 9 कुंवारी साध्वियों का उपवास हो और वे पारणा करने के लिए कहें / (4) तेरह साध्वियां एक साथ पारणा करने के लिए कहें / (5) 9 व्यक्ति आजीवन कोई प्रतिज्ञा लें / (6) पौषध अथवा सामायिक युक्त श्रावक एक हाथ में माला लिए हुए अपने हाथ से कुछ बोहराएँ / (7) एक सुहागन बहिन, जिसके माथे पर बिन्दी हो, केसरिया वस्त्र पहने हुए हो, नाक में नथ पहने हुए हो, वह अपने हाथ से कुछ बोहराएँ / यदि उपर्युक्त अभिग्रह पूर्णतः न फले तो 9 दिन तप का प्रत्याख्यान कर लंगी !" दीर्घ तप का यह महान अनुष्ठान केवल 3 घटिका से पूर्व ही किस तरह से सम्पन्न हो गया ?... और भी कई अभिग्रह जैसे कि कोई राख की चिमटी बहराए तो पारणा करना इत्यादि कैसे पूरे हुए इसका विस्तृत वर्णन जानने के लिए तो उपर्युक्त किताब ही पठनीय है / वि.सं. 2007 से आपने निम्नोक्त प्रकार से आठ संकल्प स्वीकार किये हैं। (1) यावज्जीवन एकान्तर साभिग्रह चौविहार उपवास ! (2) यावज्जीवन औषध का त्याग / (3) यावज्जीवन एक विगय उपरान्त सेवन का त्याग / (4) यावज्जीवन प्रतिदिन 7 द्रव्य उपरांत सेवन का त्याग /
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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