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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 वे शुरूआत में दो वर्ष तक रोज 12 घंटे मौन करते थे। किन्तु सं. 2051 चैत्रसुदि 13 (भगवान श्री महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के पवित्र दिन) से 12 वर्ष तक के लिए संपूर्ण मौन पूर्वक एकांत आत्मसाधना कर रहे हैं। उनकी शुरूआत में अठुम, छठ्ठ, एकांतरित, उपवास आयंबिल, 5 द्रव्यों से एकाशना वगैरह तपश्चर्या चालु थी / अब पिछले 4 वर्षों से साधना पूर्ण हो, वहाँ तक के लिए केवल बिना शक्कर का दूध और किसमीस इन दो द्रव्यों के अलावा कुछ नहीं वापरने का पच्चक्खाण ले लिया है !... उनके सहवर्ती तीन साध्वीजीयों ने भी ऐसा ही अभिग्रह लिया है!... साधनालीन साध्वीजी के दर्शन केवल सवेरे 10 से 11 तक ही हो सकते हैं / वे हिमाचल प्रदेश में कुलु जिले में भूतर गाँव में आये हुए जैन साधना केन्द्र (पिन : 175125 फोन नं. 6251) में साधना कर रही हैं। इस साधना केन्द्र में कोई साधक स्थाई नहीं रहता है, किन्तु उसे रुचि और योग्यता के अनुसार विभिन्न विधियों द्वारा आत्म साधना के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है / साधना केन्द्र का संचालन सुश्राविका सुशीलाबहन कर रही हैं / ऐसे उत्कृष्ट आत्मसाधिका महासतीजी के नाम का अर्थ 'नवी कांतिवाला' होता है। वे एक ऐसे स्थानकवासी आचार्य श्री के आज्ञावर्ती हैं, जिनके नाम के पीछे 'सूरि' शब्द का प्रयोग नहीं होता ओर उनकी आज्ञा में 1 हजार से अधिक साधु - साध्वीजीयाँ हैं / उन्होंने 300 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं / इसी वर्ष उनका कालधर्म हुआ है / साध्वीजी के मौन के साथ आत्मसाधना की हार्दिक अनुमोदना /
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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