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________________ 534 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 अहँ का जाप करोड़ों की संख्या में करवाया है। इनके नाम में 4 अक्षर का 'साधु' का पर्यायवाची वह शब्द है, जो वचनगुप्ति तथा भाषासमिति का निर्देश करता है / आप अनेक शिष्या-प्रशिष्याओं के परिवार से शोभित होकर सुंदर शासन प्रभावना कर रही हैं / 274 // पल्लेवाल क्षेत्रमें धर्म को पुनर्जीवित करते हुए साध्वीजी उपर्युक्त दोनों बहिनों की दीक्षा के बाद दूसरे ही वर्ष सं. 2007 में उनकी तीसरी छोटी बहिन सरोज की दीक्षा 7 वर्ष की बाल्यावस्था में उसके मातृश्री शांताबहन के साथ हुई / उनके जीवन में संयम प्राप्ति का 'शुभ उदय' बाल्यावस्था में ही हुआ, उससे उनका नाम भी उसी प्रकार का रखा गया / ... उनके गुरुदेव श्री की निश्रा में सिकंदराबाद से सम्मेतशिखरजी का 191 दिन का छ'री' पालित संघ तथा कलकत्ता से पालिताना का 201 दिन का / ऐतिहासिक छ'री' पालित संघ निकला था !... यह संघ जब राजस्थान के भरतपुर, अलवर, गंगानगर तथा सवाई माधोपुर आदि जिलों के समूहरूप पल्लीवाल प्रदेश के रूप में पहचाने जाते क्षेत्र में से गुजरा तब वहाँ के जैन मंदिरों की दशा अत्यंत जीर्ण दिखाई दी। जैनों की भी धर्मभावना जीर्ण अवस्था में दिखाई दी / यह देखकर आचार्य भगवंत के हृदय को खूब दुःख हुआ / वहाँ के स्थानिक जैनों ने आचार्य भगवंत के पैरों में गिरकर अपना उद्धार करने के लिए विनंती की। उस समय संघ तो आगे बढा किन्तु बादमें आचार्य भगवंत ने इस कार्य हेतु उपर्युक्त साध्वीजी को पल्लीवाल क्षेत्र में विचरण करने हेतु आज्ञा दी। साध्वीजी गुरु आज्ञा को शिरोमान्य कर सं 2037 में सपरिवार
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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