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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 529 का अर्थ "सुंदर मुँह वाला" होता है / नाम अनुसार तप के तेज से उनकी मुखाकृति देदीप्यमान है / - एक अन्य समुदाय के दो साध्वीजी भगवंतोंने भी लगातार 20-20 उपवास से बीस स्थानक तप की आराधना की हैं / उन्होंने सबसे ज्यादा मासक्षमण भी किये हैं। उनका दृष्टांत इसी पुस्तक में अन्यत्र दिया गया है। 270/- 73 वर्ष की उसमें लगातार 251 उपवास // HERE उपवास पंजाब में रामामंडी गाँव में इ.स. 1924 में जन्म लेकर 20 वर्ष की उम्र में स्थानकवासी श्रमण संघ में दीक्षित हुए एक साध्वीजी ने वि. सं. 2052 में 73 वर्ष की बड़ी उम्र में लगातार 251 उपवास की सुदीर्घ तपश्चर्या करके सबको आश्चर्य चकित किया है / उनके द्वारा पिछले 9 वर्षों में की गयी तपश्चर्या की सूचि निम्न है / क्रमांक वि.सं. चातुर्मास प्रांत 2044 जाखल ___पंजाब 61 2045 बुढलाड़ा 2046 सफीदो मंडी " पटियाला 2048 भटिंडा 1049 रानिया 2050 मालेर कोटला 2051 पानीपत हरियाणा 151 2052 शक्तिनगर दिल्ली 251 2047 k or m 3 w9 v or 'बहुर:ना वसुंधरा - 3-34
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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