________________ 522 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 किया। ज्येष्ठ सुदि पूनम के दिन दोपहर ढाई बजे 3 डीग्री बुखार आया / उसमें बोलना शुरु किया कि : "मैंने क्रिया की ? मेरी क्रिया बाकी है !... मुझे धर्म सुनाओं .... मुझे जल्दी प्रतिक्रमण करवाओ... शाम को उल्टी में थोडा खुन दिखाई दिया / डोक्टर को बुलाने की बात सुनते ही उन्होंने तुरन्त कहा : "अब थोड़े के लिए डॉक्टर को किसलिए बुला रहे हो ? उन्होंने इतना बोलकर मन में प्रतिक्रमण चालु कर दिया / पाप आलोचना का सूत्र स्वयं बोलते - बोलते 67 वर्ष की उम्रमें समाधिपूर्वक देह त्याग किया / कैसी सुंदर समाधि मृत्यु / मात्र आधे दिन की ही सामान्य बिमारी में नश्वर देह का त्याग किया। स्वयं आलोचना करते करते ही गये !... धन्य है उनकी आत्मा को / उनके परिवार में से 10 जनों ने दीक्षा ली हैं। उन्होंने अनेक सद्गुणों को आत्मसात् कर के आपना नाम सार्थक किया था / ___ उपरोक्त पाँच दृष्टांतों के अलावा दूसरे भी कई साध्वीजी भगवंतोंने परिवारजनों का विरोध होने के बावजूद विविध रूप से पराक्रम दिखाकर संयम स्वीकार कर जीवन को सफल बनाया है / उन सबकी भूरिश: हार्दिक अनुमोदना। . अनेक मुनिवरों ने भी ऐसे पराक्रम दिखाकर संयम स्वीकारा है, उनकी भी हार्दिक अनुमोदना / ऐसे सभी दृष्टांतों से प्रेरणा लेकर अवसर पर ऐसा सत्त्व दिखाने की शक्ति प्राप्त करें यही शुभाभिलाषा / | दीक्षा की अनुमति प्राप्त करने हेतु छह विगई का 265 / त्याग तथा सागारिक अनसन का स्वीकार / शादी के दिन ही रास्ते में पति की अचानक हृदयगति रुक जाने से अवसान होने पर वैराग्यवासित हुई कन्या ने दीक्षा लेने के लिए मातृ