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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 आघाकर्मी मंग के पानी के प्रत्येक घुट के साथ निसासा / ___इन महात्मा को स्वास्थ्य के कारण वैद्यराज ने मुंग का पानी विशेष रूप से वापरने की सलाह दी / महात्माजी मुंग का पानी लेते / किन्तु उसके प्रत्येक धुंट के साथ मुंह से निसासा डालते और बोलते, "यह आधाकर्मी का पाप मेरे से क्यों करवाते हो ? मेरा क्या होगा ?" यह महात्मा पटेल के घर की बड़ी रोटी होती तो भी प्रेम से (निर्दोष है, इसके आनंद से) वापरते और मुंग के पानी से अत्यंत निसासा डालते ! 246 रोज रात्रिमें एक बैठक में 4 घंटे जाप / / एक आचार्य भगवन्त हमेशा रात्रि में दो बजे उठकर जापमें बैठ जाते हैं / वे चार घंटे तक एक बैठक, एक ही जाप, एक ही स्थिर आसन में करते हैं // पूज्यश्री कहते थे कि, "मेरे जीवन में वास्तव में किसी आराधना में कमाई है तो इसमें हैं / मुझे इससे चौबीसों घंटे मस्तीवाला आराधक भाव प्राप्त होता है / | प्रत्येक पत्र के हिसाब से 10 खमासमण / दिन 247 / में निदा के बदले उपवास / / रातमें 4 // घंटे से ज्यादा निदा हो जाये तो सब्जी त्याग !! एक खाखी महात्मा सामान्यतः कभी किसी को पत्र नहीं लिखते हैं / उन्हों ने कभी विशेष परिस्थिति में पत्र लिखवाने पर भी एक पत्र के हिसाब से पंचांग प्रणिपात दस खमासमण देने का दण्ड रखा है / उपरोक्त महात्मा का दूसरा नियम यह है कि रातमें साढे चार घंटे से एक भी मिनट ज्यादा निद्रा हो जाये तो उस दिन एकासन में सब्जी
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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