________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 499 227|| अविधि की असंच और संयम की कडरता कुछ समय पूर्व ही कालधर्म प्राप्त हुए, एक महात्मा स्वास्थ्य के कारण तय किये हुए चातुर्मास स्थल पर चातुर्मास करने नहीं जा सके / वह चाहते तो डोली में बैठकर जाया जा सकता था, लेकिन वह उन्हें मंजूर नहीं था। किन्तु अन्य स्थल पर चातुर्मास करने की अविधि उन्हें पीड़ा पहुँचाती थी / मानो इसीलिए ही उन्होंने चौमासी प्रतिक्रमण से पूर्व ही वह स्थान छोड़ दिया ! धन्य है, उनकी संयम कट्टरता को ! 3888 ओपरेशन के अवसर पर भी आधाकर्मी अनुपान का त्याग / / / ओपरेशन पूरा होने के बाद होश में आये आचार्य भगवंत के पास विनीत शिष्य ने गर्म प्रवाही ला रखा / अप्रमत्त आचार्यश्रीने मौन रहकर संकेत से पूछा कि यह प्रवाही कहाँ से लाये :2 मेरे लिए किसी भक्त के वहाँ से विशेष रूप से नहीं बनाया ना ? शिष्य ने 'हाँ' कहा, कि आचार्य श्री ने तुरन्त ही प्रवाही लेने से स्पष्ट मना कर दिया / आचार्यदेव के अद्भुत जागरण का हार्दिक अनुमोदन / झूठे मुंह बोले जाने पर 25 खमासमण देते आचार्यश्री हृदय रोग का तीसरा हमला होने के बाद भी 84 वर्ष के यह आचार्य भगवंत एक दिन पंचांग प्रणिपात की विधि सहित खमासमण दे रहे थे। शिष्य ने विनय भाव से कारण पूछा और ऐसी स्थिति में यह श्रम न करने की आग्रहपूर्वक विनंती की।