________________ 498 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 कंवली के काल के पूर्व ही उपाश्रय में प्रवेश करने का नियम / (दृष्टांत नं. 224 से 259 के दृष्टांत प.पू. पन्यासप्रवर श्री चन्द्रशेखरविजयजी म.सा. द्वारा लिखित "मुनि जीवन की बालपोथी भा.१ / " में से साभार उद्धृत किये गये हैं / ) एक मुनिवर का विहार में कंबली का काल होने से पूर्व ही बस्ती में प्रवेश कर देने का नियम था / एक बार उन्होंने एकाशन करके भीषण गर्मी में बारह बजे बिहार शुरू कर दिया। शाम होते कंबली के काल से 10 मिनट की देर थी। उन्होंने भारी स्फूर्ति से विहार किया और समय से एक मिनट पहले बस्ती में प्रवेश कर दिया। उनके मुख पर प्रतिज्ञा पालन का अपार आनंद था ! 8800008cccdese 225 धन्य है इस महाकरुणा को महाराष्ट्र में एक आचार्य भगवंत को तेज गति से आती एक टेक्सी ने चपेट में लिया / जोरदार धक्का लगने से पूज्यश्री सोलह फीट दूर जा गिरे / उनके पैर में फेक्चर हो गया था / मार की असह्य वेदना में भी पूज्यश्री ने अपने शिष्यों को कहा - "उस ड्राइवर को कुछ नहीं करना / वह बेचारा एकदम निर्दोष है / मेरा सभी से मिच्छामि दुक्कडं / ' धन्य है, इस महाकरुणा. को ! 226 अनुमोदनीय सरलता और पापभीरता एक महात्माने आधुनिक जैन नाटक की जोरदार तरफदारी की थी। परन्तु उन्होंने अपने कालधर्म के नजदीक के दिनों में अपनी भूल का निकटवर्ती मुनिके पास हार्दिक एकरार किया था / धन्य है उनकी सरलता को / पापभीरता को !