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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 - 497 (क) एक साथ 26-24-25 तथा 31 दीक्षाएँ ! आज सामूहिक विवाह का जमाना चल रहा है / एक साथ 2550 युगल दाम्पत्य सूत्र में जुड़ते हैं / जब कि जिनशाशन में आज भी अलग-अलग गांवों के अनेक दीक्षार्थियों की एक ही गाँव में, एक साथ संयम स्वीकारने की घटनाएं बनती हैं / वि.सं. 2033 में महाराष्ट्र में अमलनेर शहरमें प.पू.आ.भ. श्री विजयरामचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. तथा वर्धमान तपोनिधि प.पू..भ. श्रीमद्विजयभुवनभानुसूरीश्वरजी म.सा. के वरद हस्तों से अलग-अलग गाँवों के कुल 26 मुमुक्षओं ने रजोहरण स्वीकार किया तब कैसे माहोल का सर्जन हुआ होगा !! उसकी तो कल्पना ही करनी पड़ेगी / उपरोक्त व्याख्यान वाचस्पति पूज्यश्री की निश्रा में खंभातमें एक साथ 25 दीक्षाएँ हुई थीं। उसी प्रकार कच्छमें कटारीया तीर्थमें प.पू.आध्यात्मयोगी आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय कलापूर्णसूरीश्वरजी म.सा, के वरद हाथों से विविध गाँवों के कुल 24 मुमुक्षुओंने एक साथ संयम को स्वीकार कर संसार को अलविदा किया तब भी अद्भुत शासन प्रभावना हुई थी। दिगंबर संप्रदाय में आचार्य श्री विद्यासागरजी के हाथों से 25 मुमुक्षुओं ने दीक्षा अंगीकार की। तेरापंथी आचार्य श्री तुलसी की निश्रामें 31 जनों ने एक साथ दीक्षा अंगीकार की थी !... उन्होंने कुल 800 जनों को तेरापंथमें दीक्षा दी थी। (ड) आठ सगी बहिनों द्वारा संयम ग्रहण : मूल कच्छ - वागड़ के रामावाव गाँव की ग्रेज्युएट हुई 8 सभी बहिनोंने कुमारिका अवस्थामें ही स्थानकवासी समुदाय में संयम को स्वीकार किया था / सभी बहिनों ने इतनी बड़ी संख्या में संयम ग्रहण किया हो यह घटना भगवान श्री महावीर स्वामी के शासनमें प्रायः प्रथम है / (पहले श्री स्थूलिभद्रस्वामी की सात बहिनों ने दीक्षा ली थी ) इन आठ बहिनों के नाम वगैरह इसी पुस्तक के द्वितीय भागमें प्रकाशित हुए हैं। (देखिए दृष्टांत नं.१६३) बहुरत्ना वसुंधरा - 3-32 .
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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