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________________ 495 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 अनेक दृष्टांत देखने को मिलते हैं / जिनको इन दृष्टांतों में अतिशयोक्ति के दर्शन होते हैं, उनके लिए वर्तमान काल के निम्न दृष्टांत विचारणीय हैं / (अ) एक ही परिवार के 23 सदस्यों की दीक्षा !!! श्वे.मू.पू. तपागच्छीय सागर समुदाय में एक ही परिवार के 23 आत्माओं ने संयम स्वीकार किया है। उनके संयमी नाम और परस्पर सांसारिक संबंध निम्नलिखित हैं। (1) गणिवर्य श्री जिनरत्नसागरजी म. (नं. 3 के सगे भाई) (2) मुनिराज श्री अपूर्वरत्नसागरजी म. (नं. 1 के चाचा के पुत्र) (3) मुनिराज श्री जयरत्नसागरजी म. (नं. 1 के सगे भाई) (4) मुनिराज श्री जिनरत्नसागरजी म. (नं. 1 के पत्र) (5) मुनिराज श्री चन्द्ररत्नसागरजी म. (नं. 1 के पुत्र) (6) मुनिराज श्री धर्मरत्नसागरजी म. (नं. 1 के पुत्र) (7) साध्वी श्री चतुरश्रीजी (नं. 1 की दादी माँ) (8) साध्वी श्री इन्दुश्रीजी (नं. 7 की पुत्री) . (9) साध्वी श्री हेमेन्द्र श्रीजी (नं. 1 के चाचा की पत्री) (10) साध्वी श्री सौम्ययशाश्रीजी (नं. 11 की सगी बहन) (11) साध्वी श्री सौम्यवदनाश्रीजी (नं. 10 की सगी बहन) (12) साध्वी श्री अर्पिताश्रीजी (नं. 10 की सगी बहन) (13) साध्वी श्री गुणज्ञाश्रीजी (नं. 6 के सगे भाई की पुत्री) (14) साध्वी श्री सुरेखाश्रीजी (नं. 13 की सगी बहिन) (15) साध्वी श्री मुक्तिरसाश्रीजी (नं. 13 की सगी बहिन) (16) साध्वी श्री सुवर्षाश्रीजी (नं. 1 के सगे चाचा की पौत्री) (17) साध्वी श्री पूर्विताश्रीजी (नं. 6 के सगे छोटे भाई की पुत्री) (18) साध्वी श्री तीर्थरत्नाश्रीजी (नं. 1 की धर्मपत्नी) (19) साध्वी श्री चरित्ररत्नाश्रीजी (नं. 3 की धर्मपत्नी) (20) साध्वी श्री गुणरत्नाश्रीजी (नं. 1 की पुत्री) (21) साध्वी श्री अपूर्वरसाश्रीजी (नं. 1 के सगे काकाई बहिन की पुत्री)
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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