SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 563
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 486 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 साथ हजारों युवक व्यसनों को तिलांजलि देते और विविध प्रकार के व्रतनियम प्रसन्नता से हाथ जोड़कर स्वीकार करते दिखाई देते हैं / यह देखना भी जीवन का अद्भुत सौभाग्य गिना जाता है / जिनके पास सैंकड़ो हजारों युवकोंने सरलतापूर्वक अपने जीवन की काली डायरी के तमाम पृष्ठ खोलकर भव आलोचना-प्रायश्चित स्वीकार कर अपनी आत्मा को पवित्र बनाया है। जिनके प्रवचनों ने विद्यालयों- कोलेजों के अलावा जेलों में भी कैदियों पर मानो वशीकरण किया है और उन कैदियों को मांस - शराब आदि महाव्यसनों के शिकंजों में से सदा के लिए मुक्ति दिलायी है / जिन्होंने आधुनिक आकर्षक शैली में सैंकड़ों पुस्तकों लिखकर युवाओं की मोहनिद्रा उडायी है / जो केवल विद्वान् या वाचाल वक्ता ही नहीं, साथ में सुसंयमी भी हैं / ऐसे महात्मा के बारे में विचार करते हैं तब मू. पू. तपागच्छ के एक ही समुदाय के तीन-तीन पदस्थ महात्मा तुरन्त आंखों के सामने आ जाते हैं / कहो कौन होंगे ये महात्मा ? अन्य समुदायों में भी कोई - कोई विरले विद्वान्-वक्ता-लेखक - संयमी मुनिवर हैं / कितनों की वक्तृत्वशक्ति मध्यम प्रकार की है, लेकिन लेखन शक्ति अद्भुत है / सिद्धहस्त लेखक ऐसे उनकी कलम से आलेखित पुस्तक को जो एक बार हाथ में ले तो पूरी पढकर ही उठने का मन होता है ! ... कितने ही महात्माओं के दैनिक प्रवचनों में भी विशाल होल संपूर्ण भर जाता है / इस प्रकार संयम की साधना द्वारा स्वोपकार के साथ विविध शक्तियों के द्वारा विशिष्ट परोपकार और शासन प्रभावना कर रहे सभी महात्माओं की भूरि- भूरि हार्दिक अनुमोदना / 213 आजीवन मौन व्रत / गुजरात में जूनागढ जिले के परब वावड़ी गाँवमें सं. 1969 में जन्म लेकर 29 वर्ष की उम्र में स्थानकवासी समुदाय में दीक्षित हुए एक महात्माने अपने जीवन में निम्नलिखित अनुमोदनीय आराधना की है। - (1) लगातार 14 वर्ष मौन के साथ जाप
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy