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________________ 485 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 की इतनी दीर्घ ओली चलती होगी !... इसके अलावा भी लेखन - जाप, युवा शिबिर, नवपदजी की सामूहिक ओली, प्राचीन साहित्य का उद्धार, विविध महोत्सवों इत्यादि का आयोजन भी मुख्य रूप से यह महात्मा संभालते थे / आचार्य भगवंत का स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद इन महात्मा के ऐसे साथ सहकार से वे राहत महसूस करते हैं / परिणाम स्वरूप ऐसे विनीत शिष्य पर इनकी पूरी-पूरी कृपा बरसे यह सहज है / धन्य शासन मंडन मुनिवर !..... इन महात्मा के दर्शन तो कल्याणकारी हैं ही परन्तु उनके नाम का पूर्वार्ध भी कल्याण रूप है। उत्तरार्ध अर्थात् 'जय वीयराय' प्रार्थना सूत्र द्वारा वीतराग परमात्मा के पास जो 13 लोकोत्तर माँगें की जाती हैं, उसमें सबसे अन्तिम बात का सूचन करता हुआ दो अक्षर का शब्द ! 212 युवाप्रतिबोधक पदस्थ त्रिपुटी सामान्यतः ऐसा कहा जाता है कि आज की युवा पीढ़ी आधुनिक शिक्षण और विज्ञान के नित-नये आविष्कारों में भ्रमित होकर धर्म से विमुख होती जा रही है / साधु साध्वीजी के प्रवचनों में भी अधिकतर पौढ या वृद्ध श्रोता ही मर्यादित संख्या में दिखाई देते हैं / ... यह बात कई अंशों में सही होने के बाबजूद भी अपवाद रूपमें आज भी कुछ ऐसे विद्वान् संयमी महात्मा हैं जिन्होंने आज के युवा वर्ग की नब्ज परख ली है / परिणाम स्वरूप वे धर्म के अमूल्य तत्त्वों को आधुनिक अभिनव शैली में, जोशीले अंदाज में पेश करके हजारों युवकों को केवल धर्म सम्मुख ही नहीं अपितु धर्म में ओतप्रोत भी कर रहे हैं / उनके रविवारीय प्रवचनों और शिबिरों में हजारों युवक इकट्ठे होते हैं / बड़े - बड़े प्रवचन होल भी छोटे पडते हैं / परिणाम स्वरूप कई युवक गैलेरी या सीढियों पर खड़े रहकर उनके प्रवचन अमृत का पान करते हैं।" व्हाईट एन्ड व्हाईट" वस्त्रों में सज्ज हजारों शिबिरार्थी युवक बिना माईक दिये जाते प्रवचनों को पूरे अनुशाशन में एकतान बनकर सुनते हैं / उसी तरह कितनी बार तो एक
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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