________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 479 (1) तपागच्छ के एक समुदाय में एक ही ग्रुप में चार साध्वीजियाँ "शतावधानी" हैं / (2) दूसरे भी कुछ आचार्य तथा एक जैन पंडितजी शतावधानी हो गये हैं। (3) 3 वर्ष पूर्व दीक्षित हुए एक मुनिवर ने तीन ही घंटों में पूरा पक्खीसूत्र कंठस्थ कर दिया / इन्हीं महात्मा ने योगशास्त्र के 100 श्लोक भी केवल तीन ही घंटों में कंठस्थ कर लिये / (4) केवल सात वर्ष के ही दीक्षा पर्याय वाले एक मुनिवर ने उपाध्याय श्री यशोविजयजी महाराज द्वारा विरचित और तर्कशास्त्र के कठीनग्रंथ "भाषा रहस्य" के उपर संस्कृत में टीका की रचना की है / उन्हों ने संस्कृत में अन्य रचनाएँ भी की हैं। (5) 12 वर्ष के दीक्षा पर्याय में एक मुनिवर ने संस्कृत-प्राकृत में कठीन ऐसे 425 ग्रन्थों का अभ्यास किया .... वैसे ही अंग्रेजी के भी करीब 50 पुस्तकों का वांचन किया / (6) आज भी कुछ मुनिवरों ने संस्कृत भाषा में विविध छंदों में सेंकडों श्लोकों की रचना की है / (7) एक समुदाय के दो मुनिवर पर्युषण में पूरा बारसा सूत्र मुखपाठ ही बोलते हैं / ____(8) दूसरे एक समुदाय के दो बाल मुनिवर भी पूरा बारसासूत्र मुख-पाठ ही बोलते हैं / बीस वर्ष के अथाग परिश्रम से द्वादशार नयचक्र 207| ग्रन्य का संपादन करनेवाले मनिवर की। अनुमोदनीय भूत भक्ति एक बहुश्रुत मुनिवर सदैव आगमों के संशोधन-संपादन-प्रकाशन के कार्य में व्यस्त दिखाई देते हैं / उन्होंने श्री मल्लवादीजी द्वारा विरचित