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________________ 472 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 इग्यारहवाँ इग्यारह के पारणे इग्यारह 33 3 36 बारहवाँ बारह के पारणे बारह 24 2 26 तेरहवाँ तेरह के पारणे तेरह चौदहवाँ चौदह के पारणे चौदह 28 2 . 30 पन्द्रहवां पन्द्रह के पारणे पन्द्रह 30 , 2 32 सौलहवाँ सोलह के पारणे सोलह 32 2 34 कुल उपवास 407, कुल पारणे 73, कुल दिन 480 ऐसे भीष्म तपस्वी मुनिवर के चरणों में कोटिशः वन्दना / इनके नाम के दो अक्षर के पूर्वार्ध का अर्थ 'चन्द्र' होता है तथा उत्तरार्ध जिनाज्ञापालन के प्रतीक का सूचन करता है। इनके गच्छाधिपति के नाम का अर्थ "जगत में सूर्य के समान" ऐसा होता है। इनके गुरुदेव के नाम का अर्थ "धर्म से जितने वाले" ऐसे आचार्य भगवंत-होता है / ये दोनों भी कालधर्म को प्राप्त हुए हैं / 203|| किरियाते में भीगी रोटी के आयंबिल | से महानिशीध सूत्र का योगीदव करते मुनि श्री लगभग 17 वर्ष की उम्र में महानिशीथ सूत्र का योगोद्व कर रहे एक मुनिवर ने 52 दिन तक केवल किरियाते एवं रोटी द्वारा आयंबिल किये थे / वे किरियाते में रोटी को आधा घंय भिगने देते / उसके बाद प्रसन्नचित्त से उसे वापरते थे / इनकी अनुमोदनार्थ कई साधु-साध्वीजी भगवंतों ने भी एकाध दिन किरियाते एवं रोटी से आयंबिल किये थे / धन्य है रस के विजेता मुनिवर को !.. यह मुनिवर अभी करीब छह वर्षों से ठाम चौविहार एकासन के साथ अध्ययन-अध्यापन में लीन रहते हैं /
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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