________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 471 हर महिने एक एक उपवास की वृद्धि करते 12 वे महिने में 12 उपवास के पारणे पर 12 उपवास की साधना पूर्ण की / 13 वे महिने में भी 13 उपवास पूर्णकर फिर बिआसना कर, थोड़ी अस्वस्थता होने के बावजूद दृढता से 13 उपवास का पच्चक्खाण किया / उसमें दूसरे उपवास के दिन (दि. 14-3-89) अस्वस्थता थोड़ी बढ गयी / रक्तचाप धीमा हो गया और वे अंगुलियों के सहारे मंत्र का स्मरण करते-करते एवं निश्रादाता आचार्य भगवंतादि के मुख से नवकार सुनते देह पिंजर से मुक्त हुए / इन्होंने समाधि-मरण को साध लिया / मुनि श्री ऐसे भीष्म तप के दौरान भी पारणे के दिन तथा प्रथम उपवास के दिन के अलावा दिन में कभी नहीं सोये / रात में भी 4-5 घंटे से ज्यादा निद्रा नहीं लेते थे / पूरा ही समय मौनपूर्वक स्वाध्याय - जाप वगैरह में व्यतीत करते थे / उन्हें अनेक बार तपजप के प्रभाव से, विशिष्ट आध्यात्मिक अनुभव होते थे और वे . अवर्णनीय आनंद का अनुभव करते थे / मुनि श्री 480 दिन के चालु भीष्म तप में 370 वे दिन कालधर्म को संप्राप्त हुए / 370 दिन में 306 उपवास एवं 64 पारणे किये / यहाँ गुणरत्न संवत्सर तप की तालिका प्रस्तुत है। .. माह उपवासं क्रम कुल-उपवास पारणे कुल दिन प्रथम . एक के पारणे एक 15 15 30 दूसरा दो के पारणे तीसरा तीन के पारणे तीन 24 8 32 चौथा चार के पारणे पाँचवा पाँच के पारणे छठा छह के पारणे सातवाँ सात के पारणे सात 21 3 24 आठवाँ आठ के पारणे नौवाँ नौ के पारणे दसवाँ दस के पारणे ه م م ه EF OFES س س سه