________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 469 202 / 77 वर्ष की वृद्धावस्थामें गुणरल संवत्सर / तप के भीष्म तपस्वी मुनिवर अहमदाबाद में जन्मे सुश्रावक श्री हीरालाल डाह्यालाल गांधी ने 60 वर्ष की वृद्धावस्था में मुंबई में संयम अंगीकार किया / इतनी बड़ी उम्र में दीक्षा लेने के बावजूद 9 वर्ष के दीक्षा पर्याय में उन्होंने जो तप - जप की अद्भुत और बेजोड़ आराधना की है, वह वास्तव में अत्यंत आश्चर्यप्रद है। .. यह रही उनके द्वारा अपने जीवन में की गई बेजोड़ तपश्चर्या की सूचि / हाथ जोड़कर अहोभावपूर्वक पढ़ने की विनंती / (1) अठ्ठम के पारणे अठ्ठम से एक वर्षीतप (2) छठ के पारणे छठ्ठ से एक वर्षांतप (3) एकांतर उपवास-बियासन से दो वर्षीतप (4) सिद्धितप (43 दिन में 36 उपवास) (5) श्रेणितप (110 दिन में 83 उपवास) (6) सिंहासन तप (30 दिनमें 25 उपवास) (7) समवसरण तप (80 दिनमें 64 उपवास) (8) मासखमण तप (लगातार 30 उपवास) (9) जिन कल्याणक तप (474 दिन में 263 उपवास) (10) बीस स्थानक तप (एक ओली 20 छठ्ठ से, शेष 19 ओलियाँ अलग-अलग 20-20 उपवासों से) (11) लघुधर्मचक्रतप ( 82 दिनमें 43 उपवास + 39 बियासने) (12) बृहत् धर्मचक्रतप (132 दिनमें 69 उपवास + 63 बियासने) (13) एकांतर 500 आयंबिल (14) वर्धमान तप की 53 ओलियाँ / (15) इनके उपरांत नवपदजी की ओलियाँ, इन्द्रिय जय तप, कषाय जय तप, योगशुद्धि तप, मौन एकादशी, ज्ञान पंचमी, पोष दशमी,