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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 ___461 (14) विविध प्रकार के अभिग्रह धारण करते थे। जाप : (1) नवकार मंत्र का नव लाख जाप कई बार किया / (2) सम्पूर्ण लोगस्स सूत्र का 9 लाख जाप !.. (3) सम्पूर्ण नमोत्थुणं सूत्र का 9 लाख जाप ! (4) दश वैकालिक के प्रथम अध्ययन (धम्मो मंगल वगैरह 5 गाथा) का 9 लाख जाप / (5) चत्तारि मंगलं... के सम्पूर्ण पाठ का 9 लाख जाप !... . (6) "अरिहंतो महदेवो" इत्यादि सम्यक्त्व की गाथा का 9 लाख जाप / (7) सूयगडांग सूत्र के छठे अध्ययन (पुच्छिसु णं इत्यादि शब्दों से शुरू होती वीर स्तुति) का 9 लाख जाप करने का संकल्प था / किन्तु 3 लाख के करीब जाप होते वे कालधर्म को प्राप्त हुए / क्षमाभाव : (1) एक बार उनके उपर सौराष्ट्र में अज्ञानता से एक किसान ने कंटीली लाठी द्वारा प्रहार किया था, फिर भी उन्होंने समभाव से यह उपसर्ग सहन किया !.. (2) रोषायमान हुए बैल का धक्का लगने से हड्डियों भयंकर रूप से टूट जाने के बावजूद भी इन्होंने खूब ही समता रखी ! . उन्होंने अपने गृहस्थ जीवन के 3 पुत्रों तथा 2 पुत्रियों सहित 41 वर्ष की उम्र में सं. 2001 में दीक्षा ली थी / और 88 वर्ष की उम्र में सं. 2048 की मृगशीर्ष अमावस्या के दिन दोपहर 12.00 बजे इन्दोर में कालधर्म संप्राप्त हुए / पूज्यश्री के नाम का पूर्वार्ध एक विशेष रंग का नाम है, तथा उत्तरार्ध ज्योतिश्चक्र के एक देवविमान का नाम है। उनके तप-जपादि की हार्दिक अनुमोदना /
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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