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________________ 460 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 [36 वर्षातप के साथ में नवकार, लोगस / 196// नमोत्यणं धम्मो मंगल... अरिहंता महदेवो... आदि प्रत्येक के 9-9 लाख जाप के आराधक एक स्थानकवासी समुदाय के नायक महात्माने अपने 46 वर्ष के दीक्षा पर्याय में निम्नलिखित तप-जप आदि की विशिष्ट आराधना-साधना की थी / तपश्चर्या : (1) अन्तिम 34 वर्ष तक लगातार वर्षांतप !!! (2) एक उपवास से लेकर छठ्ठ-अठ्ठम आदि क्रमशः 15. उपवास तक तप / (3) मासक्षमण दो बार / (4) 25 तथा 35 उपवास / (5) अन्त में संथारे की भावना के साथ 45 उपवास / उसमें अन्तिम 15 उपवास चौविहार किये / (6) एक एक पक्ष तक नमक मिर्च आदि छह रसों का त्याग (7) तीर्थंकर वर्धमान तप / (8) पंच कल्याणक तप (9) सर्व तिथि तप (10) एक बार मौन सहित अठ्ठाई तप करके 8 दिन तक बंद कमरे में मुख्य रूप से ध्यान साधना की थी। ... (11) वर्षों तक घी तथा तेल की विगई और चीनी का मूल से त्याग / पारणे में भी घी इत्यादि नहीं लेते थे / (12) प्रतिदिन 108 खमासमणा द्वारा पंच परमेष्ठी को पंचाग प्रतिपात पूर्वक नमस्कार करते (लगभग 20 वर्ष तक) (13) प्रतिदिन 30 मिनट शीर्षासन में ध्यान करते !!!
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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