________________ 437 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 यह रही उनकी साधना-आराधना की रूप रेखा / यदि आप अत्यंत अहोभाव से पढोगे तो महान कर्म निर्जरा के साथ विशिष्ट पुण्य का उपार्जन होगा और कभी ऐसी विशिष्ट साधना करने की शक्ति भी आपको प्राप्त होगी / उपवास : (1) श्री नवकार महामंत्र के लगातार 68 उपवास, पारणे में 11 आयंबिल (2) 45 आगम के 45 उपवास (3) मृत्युंजय तप = मासक्षमण (4) 20 बार सिद्धितप / ... उसमें भी 18 बार प्रत्येक पारणे में आयंबिलपूर्वक सिद्धितप किया / (5) श्रेणीतप (6) लगातार चतारि अठ्ठ दस दोय तप (7) एकांतरित उपवासपूर्वक बीसस्थानक तप के 420 उपवास (8) 96 जिन आराधना के 96 उपवास (9) सहस्रकूट के 1024 उपवास की साधना चालु थी / (10) 4 - 5-6 - 7 - 8 - 10 - 15- 16 उपवास कई बार किये। (11) 75 वर्ष से प्रत्येक महिने की दोनों चौदस को उपवास (12) 75 वर्ष से पर्युषण के छठ्ठ-अठ्ठम / दिपावली को छठ्ठ / (13) 6 अठ्ठाई की एक ही वर्ष में 8 - 8 उपवास से साधना / (14) द्वितीया-पंचमी - अष्टमी एकादशी की विधिपूर्वक साधना / (15) पाँच ही द्रव्य पारणेमें उपयोग में लेने के अभिग्रह के साथ दो वर्षीतप / (16) 70 वर्षों से एकाशन से कम पच्चक्खाण नहीं !