________________ 434. बहुरत्ना वसुंधरा : भार वी (B) सिद्धगिरि चातुर्मास मा (B) सिद्धगिरि चातुर्मास समय सं. 2008 में 55 + 56 + 57 वी ओलियां लगातार की / (c) 58 वी ओली में सिद्धगिरि की 120 यात्राएँ सात छठ्ठ एवं दो अठ्ठम के साथ की ! (D) 59 - 60 - 61 - 64 वीं ओलियाँ छठ्ठ के पारणे आयंबिल से की ! (E) जूनागढ गिरनार में ६१वीं ओली में सात छठ और दो अठ्ठम, उसी तरह बीच में पारने में 9 आयंबिल सहित 29 दिन में ही गिरनार की 99 यात्राएँ की !!! और अन्त में अट्ठाई के साथ जामकंडोरणा से जूनागढ तक छ'री' पालित संघ में विहार किया ! ... इसी तरह दूसरी बार विहार में 9 उपवास किये ! (F) 65 वी ओली एकांतरित उपवास-आयंबिल से की (G) 66 वी ओली में कुछ छठू और कितनी ही बार एकांतरित उपवास किये ! (H) 77 वी ओली में सिद्धगिरि की 108 यात्राएँ की / (1) 99 वी ओली के बाद संघ हितार्थ 100 वी ओली से बिना पारणा किये सं. 2039 अषाढ वदि 7 से लगातार आयंबिल प्रारम्भ किये / डोक्टरों की चेतावनियाँ या भक्तों की प्रेमभरी विनंतियाँ पूज्यश्री के अभिग्रह को जरा भी हिला नहीं सकी / 100, 101, 102, 103, 104, 105, 106, 107, 108 ओलियों के मंगल . अंक को पारकर प्रकट प्रभावी श्री शंखेश्वर तीर्थ में 1008 आयंबिल पूर्ण किये / उसके ऊपर अट्ठम करके पारणा किये बिना निरंतर 1749 आयंबिल हुए, तब श्री संघ के अग्रणियों के आदेश से 1751 आयंबिल के ऊपर 1 उपवास कर सं. 2044 की वैशाख सुदि 3 के दिन अनिच्छ से गन्ने के रस से ठाम चौविहार पूर्वक पारणा किया / 92 दिन 6 विगई के त्याग पूर्वक एकासन करने के बाद पुनः सं. अग्रणियों के ऊपर 1 उपवास दिन अनि