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________________ 433 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 (B) दूसरे "नमो सिद्धाणं "पद में पाँच अक्षर हैं / इसलिए दूसरे पद की आराधना पाँच अठ्ठाइयों से की / (C) बीस स्थानक के शेष अठारह पदों की आराधना सामान्य विधि अनुसार अलग अलग बीस-बीस उपवास कर बीस स्थानक तप पूर्ण किया / (3) दो वर्षी तप किये / पिछले कितने ही वर्षों से एकासन से कम पच्चक्खाण नहीं किया है। (4) 78 वर्ष की बड़ी उम्र तक पर्युषणमें अठ्ठम, चौमासी छठ्ठ, एवं दीपावली का छठ्ठ करते थे / आज भी ज्ञानपंचमी, मौन एकादशी और संवत्सरी का उपवास चालु है। (5) श्रेणीतप : सं. 1993 में पूना चातुर्मास में (135 दिन की स्थिरता के दौरान) श्रेणीतप तथा अरिहंत पद के 20 उपवास तथा अन्य प्रकीर्ण उपवास मिलाकर 116 उपवास तथा केवल 19 दिन पारणे किये / इस प्रकार पूज्यश्री द्वारा 85 वर्ष तक की उम्र में 3000 से अधिक किये गये उपवासों का विवरण इस प्रकार है : उपवास 30 | 24 23 22 21 | 20 | 19 | 18 | 17 | 16 | 15 | 14 . . . | कितनी बार | 1 2 | 2 | 2 | 22 उपवास 13 12 204|1334 कुल उपवास 3005 (6) आयंबिल तप : वर्धमान तप की 108 ओलियाँ की / विशेषताएँ : (A) 54 वी ओली में नित्य सिद्धगिरि की दो यात्रा के द्वारा 108 यात्राएँ की / बहुरत्ना वसुंधरा - 3-28
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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