________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 2 419 विज्ञान हिन्दी, अंग्रेजी इत्यादि शीख लिया है / मराठी और गुजराती तो उनकी मातृभाषाएँ हैं / ____ धार्मिक अध्ययन में पंचप्रतिक्रमण नवस्मरण, चार प्रकरण, तीन भाष्य, छह कर्मग्रंथ इत्यादि कंठस्थ हैं / संस्कृत की दो किताबों का अध्ययन भी कर लिया है / बालक-बालिकाओं को धार्मिक सूत्र सीखाते हैं और अपनी राशिमें से उनको इनाम भी देते हैं / शास्त्र स्वाध्याय, सामायिक, प्रतिक्रमण, जिनपूजा आदि द्वारा पवित्र जीवन जीती हुई मयणाबहन के लिए उनके पिताजीने बेबी सीटर गाड़ी भी बनवा दी है, मगर उसमें बैठकर गाँव में घूमने का उनको शौक नहीं है। ऐसी है उनकी आत्मतृप्ति ! जिनाज्ञापालन में वे सावधान हैं / . जब भी वे कोई संयमी साधु-साध्वीजी भगवंत से मिलती हैं तब उनसे विनयपूर्वक कहती हैं कि - 'आपको महान चारित्र मिला है तो उसका अच्छी तरह से पालन करना, मैंने पूर्वभवमें चारित्र की विराधना की होगी इसलिए इस भवमें शारीरिक विकलांगता के कारण चारित्र उदय में नहीं आया। शंखेश्वर तीर्थ में आयोजित अनुमोदना-बहुमान समारोहमें कु. मयणाबहन भी अपने पिताजी के साथ आयी थी / तस्वीर के लिए देखिए पेज. नं. 21 के सामने ! पत्ता : कुमारी मयणाबहन विलासभाई धरमचंद शाह दीपधर्म, गुनवड़ी चौक, मु. पो. बारामती, जि. पूना, (महाराष्ट्र)