________________ 418 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 2 है / इस दृष्टांत में से हम भी कुछ प्रेरणा ग्रहण करें यही शुभ भावना। उपर्युक्त दृष्टांत में जिन धनाढ्य सेठानी की बात की है वे कलकत्ता में 'अनुपमा देवी' के रूपमें प्रसिद्ध हैं / श्राविका द्वारा मिली हुई राशि को वे साधर्मिक भक्ति के कार्यों में ही खर्च करना चाहती हैं। दौनों श्राविकाओं की क्रमशः साधर्मिकभक्ति की भावना की भूरिश: हार्दिक अनुमोदना / कर्मों के सामने युद्ध बारामती की कु. मयणाबहन उस कुमारिका का नाम है मयणाकुमारी विलासभाई शाह / बारामती (महाराष्ट्र) में रहती हैं / गर्भश्रीमंत हैं / हाल में उसकी उम्र 29 साल की है। इस मयणाकुमारी को कर्मसत्ता ने शुभ-अशुभ दोनों प्रकार की सामग्रियाँ प्रदान की हैं / गर्भश्रीमंतता, जैन कुल, सुदेव-सुगुरु-सुधर्म और सद्बुद्धि की प्राप्ति यह सब मयणाबहन की शुभ सामग्री है / ... लेकिन कायामें चेहरा तो 29 साल की युवति जैसा, आँखों दया-करुणा से आर्द्र हैं किन्तु मुख के सिवाय बाकी का शरीर केवल 2 // फीटका ! छोटे से अपंग हाथ पैर, पेट और छाती का भाग समान, शरीर का वजन सिर्फ 25 किलो जितना ही होगा ! अधिकांश लेटकर ही रहना पड़ता है, बहुत अल्प समय के लिए ही बैठ सकती हैं / आहार भी छोटे बच्चे जितना अल्प ! शारीरिक क्रियाएँ भी पराधीन हैं / एक जगह से दूसरी जगह कोई उठाकर ले जाय तब जा सकती हैं ... ऐसी मानवकाया देकर कर्मसत्ताने उनका क्रूर मजाक किया है। शरीर की ऐसी स्थिति में भी मयणाबहनने कर्मों के सामने युद्ध छेड़ा है / मौका मिलने पर बिआसन करती हैं / रात्रिभोजन और जमीकंद का त्याग है। हररोज सामायिक करती हैं / घर में ही व्यावहारिक गणित,