________________ 415 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 2 दर्शनाबहन ने वर्धमानतपोनिधि प.पू.आ.भ. श्री विजयभुवनभानुसूरीश्वरजी म.सा. के पास 12 // साल तक दो दिन लगातार आहार (बिआसन) नहीं करने का अभिग्रह लिया था ! ऐसे महान अभिग्रह के साथ उन्होंने 2 वर्ष और 1 // महिने में बीसस्थानक तप के 420 उपवास एवं 4 वर्ष और 2 महिनों में सहस्रकूट के 1024 उपवास पूर्ण किये !... इसी तपश्चर्या में उन्होंने अठ्ठम के पारणे अठुम की तपश्चर्या प्रारंभ कर दी। कुछ समय के बाद उन्होंने समेतशिखरजी महातीर्थ की रक्षा निमित्त से 44 अठ्ठम किये / फिर तो मानो अट्ठम की तपश्चर्या ही उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गई / उन्होंने अठ्ठम से वर्षीतप भी कर लिया और अपने परम उपकारी गुरुदेव विद्वद्वर्य पूज्य मुनिराज श्री युगभूषणविजयजी म.सा. (पंडित महाराज) के पास उन्होंने लगातार 508 अट्ठम करने का अभिग्रह भी ग्रहण कर लिया है / इसी चातुर्मास में प्रस्तुत लेख "बहुरत्ना वसुंघरा" में प्रकाशित होगा तब तक उनकी 450 से अधिक अठुम पूर्ण हो गयी होंगी। 2 साल पूर्व वे चातुर्मास के दौरान शंखेश्वर तीर्थ में आयी थीं तब उनकी 289 वीं अठ्ठम चालु थी मगर चेहरे पर जरा भी थकान महसूस नहीं होती थी बल्कि अत्यंत प्रसन्नता उनकी मुखमुद्रा पर व्याप्त थी। कुल 1008 अठ्ठम लगातार करने की भावना उन्होंने अभिव्यक्त की थी। हालमें वे श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवंत के अठ्ठम कर रही हैं। प्रत्येक अठुमके विसहर फुलिंग मंत्र का 12 / / हजार बार जाप करती हैं / कुल 1 / करोड़ बार इस मंत्र का जप करने की भावना है !!! एक बार अठ्ठम के दौरान उन्होंने पुज्य मुनिराज श्री युगभूषणविजयजी म.सा. से मंत्रग्रहण करके पीले वस्त्र पहनकर सुवर्ण के पात्र द्वारा 36000 फूलों से श्री गौतमस्वामी की पूजा की थी !!! आज से करीब 8 साल पूर्व में उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत भी अंगीकार कर लिया हैं / अठ्ठम के दौरान वे लोगस्स/उवसग्गहरं स्तोत्र और श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी के चैत्यवंदन (ॐ नमः पार्श्वनाथाय... 5 श्लोक) की 1-1 माला का जप भी करती हैं !!! इस तरह तप-जप और व्रत के प्रभाव से उनकी 17 साल पुरानी किडनी की बिमारी-जिसमें डायलीसीस की शक्यता थी - बिना दवाई से दूर हो गयी है।