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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ उन्होंने नहीं रहने का निश्चय किया है । साबरमती विस्तारमें ही उन्होंने वास्तुशास्त्र के अनुसार बंगला बनाने का प्रारंभ किया है ।
इस बंगले में सिमेन्ट और लोहे का उपयोग नहीं होगा । उसके बदले में चूना और लकड़ी का उपयोग होगा । बिजली का कनेक्शन भी नहीं लिया जायेगा । बिजली के बजाय हररोज रातको घी के दीपक जलाये जायेंगे । यह मकान वास्तुशास्त्र के अनुसार बनता है, अतः उसमें पंखे की भी जरूरत नहीं रहेगी । शर्दी की ऋतुमें ठंडी नहीं लगेगी और गर्मी की ऋतुमें गर्मी भी नहीं लगेगी । शास्त्र के अनुसार गायका दूध पृथ्वी पर रहा हुआ अमृत है, इसलिए इस घर के आँगन में गायें भी रखी जायेंगी।
___ इस बंगले के निर्माण में लाखों रूपयों का व्यय होनेवाला है फिरभी इसमें मिट्टी से ही लीपन किया जायेगा । कांसे के बर्तनों में भोजन होगा, ताम्रपात्रों में पानी रहेगा और पित्तल के गिलास में पानी मिलेगा । इस घर में फीज तो नहीं होगा, क्योंकि इस परिवार का मानना है कि ताजी वस्तुओं को बासी बनाने का मशीन याने फिज । टी.वी. का तो प्रश्न ही नहीं होता। जैन शास्त्रों के अनुसार शाम को ६ बजे के बाद चूला नहीं जलाया जायेगा।
ले. प्रशांत दयाल ('अभियान' दि. ११-१२-९५) में से साभार उद्धृत) पता : उत्तमभाई जवानमलजी बेड़ावाले सिद्धाचल वाटिका, रामनगर, साबरमती, अहंमदाबाद-३८०००५. फोन : ०७९-७४८६१७८ (निवास)
३ घंटे की तेजस्वी शाला
आजका विद्यार्थी स्कूल अध्ययन के पीछे हररोज ६ घंटे समयका व्यय करता है । दूसरे ३ घंटे होम वर्क और ट्युशन के पीछे व्यय करता है, फिर भी कोचिंग क्लास बाकी रह जाते हैं । प्रतिमाह युनिट टेस्ट, ३