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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ ३५७ है । इस शिक्षा के बाद उसको कम्प्युटर का व्यवसाय करने की इच्छा है । ४थी कक्षा तक पढनेवाले धर्मेश को यह पढाई पसंद है, लेकिन उसको सब से ज्यादा क्रिकेट खेलना पसंद है । पूनम, काजल, अंकिता और श्वेता को अभी तक स्कूल में की हुई पढाई व्यर्थ लग रही है। स्कूल छोड़ने का उनके हृदय में जरा भी अफशोस नहीं है, क्योंकि उनको मनपसंद नृत्य, संगीत और चित्रकला का अभ्यास करने का मौका मिला है । चेतन को बंसरी बजाने में बहुत मजा आता है । अक्षय इन सभी से अलग प्रकार का है। वह पाठशाला में पढ़ने के लिए राजी नहीं है । उसके दिल में स्कूल नहीं जाने का अभी भी दु:ख है । उसको संस्कृत पढना अच्छा नहीं लगता । उसको क्रिकेट खेलना और मित्रों के साथ घूमना अच्छा लगता है । अब बाकी रही अनिता, लेकिन साढे तीन सालकी अनिता को तो स्कूल क्या होती है । यह मालूम भी नहीं है, उसके मनमें तो पाठशाला ही स्कूल है। वह भी अपने भाई-बहनों के साथ हररोज पाठशाला में जाकर धीरे धीरे पढने का प्रयत्न करती है । __जवानमलजी के सबसे छोटे सुपुत्र अजितभाई का कहना है कि मैंने बी. कोम. तक आधुनिक शिक्षा प्राप्त की मगर उससे क्या फायदा हुआ ? अभी तक तो हमारे पास स्कूल-कोलेज की पढाई का दूसरा कोई विकल्प नहीं था । अब एक नया रास्ता खुला है। यदि भारत को सही अर्थ में सुदृढ बनाना होगा तो उसे प्राचीन भारतीय संस्कृति का समादर करना ही पड़ेगा। मुझे बहुत आनंद है कि मेरी बेटी अनिता ने स्कूल कभी देखी ही नहीं है। मेरा जो समय बिगड़ा वह उसका नहीं बिगड़ेगा। हाँ, इन बालकों के पास सरकारी डिग्री नहीं होगी, लेकिन दुनिया के किसी भी स्थान से उनको पीछे नहीं हटना पड़ेगा उसकी मुझे पूरी तसल्ली है । जीवन में नहीं चाहिए आधुनिकता : अहमदाबाद का यह जैन परिवार केवल शिक्षण के द्वारा ही प्राचीन भारत में जाना नहीं चाहता किन्तु क्रमशः अपनी जीवनशैली भी वह बदल रहा है । शहरीकरण के कारण खड़े हुए कों क्रीटों के जंगलों में अब
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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