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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ के किरणभाई ने अपने दो युवा मित्र रामजीभाई शामजी धरोड और जतीनकुमार मोरारजी छेडा के साथ मिलकर कन्वीनर के रूप में ऐसे महान संघों का संचालन अत्यंत व्यवस्थित रूप से किया था और प. पू. अचलगच्छाधिपति गुरुदेवश्री की अद्भूत कृपा प्राप्त की थी । सं. २०४६ में पालिताना में कच्छी भवन धर्मशाला में १००० यात्रिकों के विराट ९९ यात्रा संघ का सुंदर संचालन भी उपरोक्त त्रिपुटी ने किया था ।
पता : किरणभाई वेरसी गडा, वेरसी माणेक एन्ड कुं. ९५६ कात्रक रोड, वडाला, मुंबई-४०००३१, फोन : ४१५१८०.
श्री शंखेश्वर महातीर्थ में आयोजित अनुमोदना बहुमान समारोह की व्यवस्था में भी किरणभाई एवं अन्य कार्यकर्ताओं ने अच्छा योगदान दिया था । किरणभाई की तस्वीरों के लिए देखिए पेज नं. 18 इत्यादि के सामने।
(९) कांदीवली - महावीरनगर में रहती हुई एक बालिका ने केवल १२ सालकी उनमें मासक्षमण: की महान तपश्चर्या की थी।
(१०) राजस्थान के देशनोक गाँव में वि. सं. २०४९में कु. समता बांठीयाने केवल ११ साल की छोटी उम्र में मासक्षमण की उग्र तपश्चर्या की थी।
(११) कु. रिध्धि हरीशभाई (दिओरा) ने वि. सं. २०४९ में मुंबई-मलाड में ४ वर्ष की बाल्यवय में प्र. पू. आ.भ. श्री पूर्णानंदसूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में अट्ठाई तप किया था ।
(१२) मलाड़ (पूर्व) में रत्नपुरी उपाश्रय में वैराग्य देशनादक्ष प. पू. आ. भ. श्री विजयहेमचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रामें केवल ७ साल की उम्र के जिज्ञेश नाम के बालक ने वि. सं. २०३९ में आसोज महिने में ४७ दिन का उपधान तप करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था।
___ (१३) कु. कीमी एवं कु. हर्षिता ने केवल ५॥ साल की उम्र में प. पू. आ. भ. श्री अशोकसागरसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में गिरिराज की ९९ यात्रा विधिपूर्वक पूर्ण की थीं।