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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ अश्विनभाई शाह (उ. व. ९) (१३) क्रीना भद्रेशकुमार शाह (उ. व. ९) .
(७) अहमदाबाद के तपस्वी तेजस्वी बालश्रावक :
अहमदाबाद याने धर्मनगरी । जहाँ प्रतिवर्ष सैंकडों साधु-साध्वीजी भगवंतों के चातुर्मास होते हैं और शेषकाल में भी करीब एक हजार जितने साधु साध्वीजी भगवंत विविध उपाश्रयों में हमेशा विद्यमान होते हैं। फलतः उनके सत्संग से सैंकडों बालकों ने छोटी उम्र में तपश्चर्या एवं विशिष्ट धार्मिक अध्ययन किया होता है। उनमें से यथाप्राप्त थोड़े से दृष्टांत यहाँ प्रस्तुत किए जाते हैं । - साबरमती रामनगर में वि. सं. २०५० में प. पू. पं. श्री इन्द्रसेनविजयजी म.सा. (हाल आचार्यश्री) की निश्रामें सौरभकुमार सतीशभाई शाह (उ. व. ८) एवं कमल प्रियकांत झवेरी (उ. व. ८)ने अठ्ठाई तप किया था । शंखेश्वरमें आयोजित अनुमोदना समारोहमें सौरभकुमार भी आया था । उसकी तस्वीर के लिए देखिए पेज नं. 19 के सामने ।
काळुशी की पोल में कु. सोनल नीतिनकुमार शाह (उ. व. १०) ने १६ उपवास की तपश्चर्या की थी।
श्री दानसूरि ज्ञानमंदिर में पू. मुनिश्री कुलशीलविजयजी म. एवं पू. मुनि श्री हर्षशीलविजयजी म.सा. की निश्रामें कौशलकुमार जयेन्द्रभाई शाह (उ. व. ११) ने पंच प्रतिक्रमण और ४ प्रकरण तक अध्ययन किया है । उसने ९ साल की उम्रमें अट्ठाई तप किया था । पिछले ६ वर्षों से वह पर्युषण में ६४ प्रहरी पौषध करता है।
रंगसागर उपाश्रय में सा. श्री देवेन्द्रश्रीजी म. की प्रेरणा से कु. शिवांगी रोहितकुमार शाह (उ. व. ७) ने पंचप्रतिक्रमण, और ९ स्मरण कंठस्थ कर लिए हैं और बहुत स्पष्ट उच्चार पूर्वक बोलती है । वहाँ कु. बिरवाने ८ वर्ष की उम्रमें अट्ठाई तप किया था ।
नारणपुरा में देवकीनंदन सोसायटी में ५ साल पूर्व एक ७ साल की उम्र के बालक को धोती एवं खेस पहनकर जिनपूजा करके