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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २
२७५ आराधना हुई.। इस तपोवनी बालक के साथ अन्य दो वीर सैनिक युवक भी गये थे । इस बालक ने वहाँ कुमारपाल महाराजा की भव्य सामूहिक आरती भी करवायी । उभय काल शुद्ध उच्चार और विधिपूर्वक प्रतिक्रमण कराये । व्याख्यान, पंच कल्याणकों की पूजा, भावना, युवकों एवं बालकों के जीवन को उच्चतम बनाने के लिए प्रेरणादायक संमेलन आदिका आयोजन करवाया था। इस बालक के पास वतृत्वशक्ति विशिष्ट प्रकार की हैं । इसकी माँ ने बाल्यावस्था से ही इस बालक का उच्चतम जीवन निर्माण करने के लिए अथक परिश्रम किया है । धन्य है इसकी माता को । धन्य है ऐसे दो-दो तपोवनों के प्रणेता शासन प्रभावक, युवा प्रतिबोधक, प.पू. पंन्यास प्रवर श्री चन्द्रशेखर विजयजी म.सा. को !
(६) सुरत के तपस्वी बालक :
वि.सं. २०४९ में सुरत में परम शासन प्रभावक प .पू. आ.भ. श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के प्रशिष्य पू. मुनिराज श्री कीर्तियशविजयजी म.सा. ( हाल आचार्यश्री ) की प्रेरणा से चातुर्मास में ६६ तपस्वी सिद्धितप में शामिल हुए थे । कई भाग्यशाली अठ्ठाई आदि तपश्चर्या में शामिल हुए थे। - तब केवल ९ साल की उम्रमें कु. निकिता दीपकभाई मसालियाने भी सिद्धितप जैसी महान तपश्चर्या की थी । इस तपश्चर्या में ४४ दिनों में ३६ उपवास और ८ बिआसन करने के होते हैं । और भी अनेक बाल श्रावकों ने अठ्ठाई तप किया था, उनमें से १० साल से छोटी उम्र में अढ़ाई तप करने वाले बालकों के नाम निम्नोक्त प्रकार से हैं । (१) खुश्बु भद्रेशभाई शाह (उ. व. ५) (२) कोमल शांतिलाल शाह (उ.व.६) (३) कोमल महेशकुमार शाह (उ. व. ५) (४) पूजा ललितभाई शाह (उ. व. ६) (५) चिंतन महेशकुमार (उ. व. ६) अमी कौशिककुमार (उ व. ७) (७) बिजल गिरिशभाई शाह (उ.व. ८) भविष्या भद्रेशकुमार शाह (उ. व. ८) (९) रचना केतनकुमार शाह (उ. व. ८) (१०) प्रियंका वीरेशभाई शाह (उ. व.८) (११) जीरल विरलभाई शाह (उ व. ५) (१२) विराट