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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ मुंबई वालकेश्वर में वि.सं.२०४९में चातुर्मास बिराजमान प्रखर प्रवचनकार प.पू.आ.भ.श्री विजय यशोवर्मसूरिजी म.सा.की निश्रामें केवल डेढ सालकी उम्रके श्रेयांसकुमार कमलेशभाई शाहने १ उपवास करके सभीको आश्चर्यचकित कर दिया था । श्री संघने इस बालकको तपस्वीरत्न का बिरुद दिया था । भविष्यमें ऐसे बालश्रावकरन जिनशासन के धर्म धुरंधर बनने के लिए शक्तिशाली हो सकते हैं इसमें शंका नहीं है ।
(४) ४ सालकी उसमें अठाई तप ।
वि.सं.२०४५ में हमारा चातुर्मास जामनगर में था,तब वहाँ पाठशाला के उपाश्रय में प.पू.आ.भ. श्री विजय अशोकचन्द्रसूरजी म.सा. की निश्रामें केवल ४ सालकी उम्र के सागरकुमार दिलीपभाई सुतरीया ने अछुई तप करके सभीको आश्चर्यान्वित कर दिया था। उसकी माता दीनाबहन ने उसमें सुसंस्कारों का सिंचन किया है। वह रोज माता - पिता को प्रणाम करता है और जिनमंदिर में जाकर प्रभुदर्शन करता है। रविवार एवं अन्य छुट्टी के दिनों में धोती और खेस (उतरासंग) पहनकर भावपूर्वक जिनपूजा करता है । हालमें वह मोरबी में रहता है।
पता : साउसर प्लोद शेरी नं.९, पारस मेडीकल के मकान में, मोरबी, जि. राजकोट पिन - ३६३६४१. सागरकुमार की तस्वीर के लिए देखिए पेज नं.14 के सामने ।
(५) एन्टवर्प (विदेश) में पर्युषण की आराधना करवाने के लिए गया हुआ तपोवन संस्कार धाम का एक बालक :
गुजरात में नवसारी से ७ कि.मी की दूरी पर आये हुए तपोवन संस्कार धाम का एक बालक हेमलकुमार ए. शाह वि.सं.२०४९ में एन्टवर्प में पर्युषण की आराधना करवाने के लिए गया था ।
एन्टवर्प याने वैभव का महासागर । जहाँ लोगों के घरों में सोने के नल एवं चांदी के पाइप हैं । चांदी की थाली-कटोरी-ग्लास इत्यादि तो वहाँ सामान्य बात है । घर घर में ५-५ मर्सीडीझ मोटरकार हैं ।
ऐसे एन्टवर्प में ५० साल के इतिहास में पहलीबार पर्युषण की