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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग चिकित्सकों से असाध्य हजारों दर्दीओंको बिना १०० दवाई से और बिना मूल्यसे स्वस्थता प्रदान करते हुए सेवाभावी रतिलालभाई पदमसी पनपारीया
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कुछ मनुष्यों का जीवन अनेक व्यसन एवं दुर्गुणों के कारण समाज के लिए अभिशाप रूप बन जाता है, जब कि कुछ विरल मनुष्यों का जीवन विशिष्ट सद्गुण और निःस्वार्थ सेवावृत्ति के कारण संपूर्ण मानव समाज के लिए आशीर्वाद रूप होता है । ऐसे विरल सेवाशील व्यक्तिओं में रतिलालभाई का समावेश होता है ।
मूलतः कच्छ-नाग्रेचा गाँव के निवासी किन्तु वर्तमान में बड़ौदामें रहते हुए, कच्छी दसा ओसवाल ज्ञाति के लिए गौरव रूप श्री रतिलालभाई के पूर्व जन्म के विशिष्ट पुण्योदय से उनके मामाश्री नरसीभाई रामैया धरमर्सी (कच्छ-सांयरा निवासी) की और से ऐसी विशिष्ट कला या प्रकृति का वरदान प्राप्त हुआ है कि पिछले ७ वर्षोंमें डॉक्टरों से असाध्य ऐसे करीब पाँच हजार रोगीओं को बिना मूल्यसे और प्रायः बिना दवाई से अल्प समयमें ही आरोग्य प्रदान करने में वे कामयाम रहे हैं .....
खास करके रीढ़ की हड्डीमें ज्ञानतंतु अपना कार्य करने में अक्षम हो रहे हों या हड्डी में कहीं भी फेक्चर हो ऐसे केसों में उनकी 'मास्टरी' है। डोक्टरोंने जिनको शस्त्रक्रिया (ओपरेशन) करनेका अनिवार्य बताया था; ऐसे २०० से अधिक हड्डियों के मरीजों को शस्त्रक्रिया बिना ही उन्होंने ठीक कर दिया है ।
पक्षाघात के करीब ३० से अधिक दर्दीओं को उन्होंने ठीक किया है । लंड़न और अमरीका से उपचार के लिए बड़ौदा आये हुए कुछ भारतीयों को रतिलालभाईने रोग मुक्त किया है ।
आँखों की रगें सूख जाने के कारण आँखोंकी रोशनी बिल्कुल नष्ट हो गयी थी और आधुनिक चिकित्सकों ने जिसको असाध्य जाहिर कर दिया था ऐसे ५ व्यक्ति रतिलालभाई के उपचार से आज बराबर देख सकते हैं। उनमें से एक व्यक्ति तो आज स्कूटर भी अच्छी तरह से चला सकते हैं ।