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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २
बड़ौदा के एक सोनी की दृष्टि भारी मधुप्रमेह के कारण बिल्कुल बंद हो गयी थी । आधनिक चिकित्सा के पीछे लाखों रूपयों का खर्च करने के बाद भी सफलता नहीं मिली थी । आखिर वे भी रतिलालभाई के उपचार से केवल १५ दिनों में देखते हो गये ।
लक्ष्मी पल्स (दाल-चावल की मील) वाले पादरा के हसमुखभाईकी आँख का गोला टेढा हो जाने से एक ही वस्तु ८-१० की संख्या में दिखाई देती थी । वे फौरन रतिलालभाई के पास आये । उनके उपचार से ठीक हो गये।
बड़ौदा के एक भाई को लेसर ट्रीटमेन्ट से फायदा नहीं हुआ था, वे भी इस उपचार से ठीक हो गये ।
५-७ साल पुराने कर्ण रोगी करीब ५ व्यक्ति रतिलालभाई के उपचार से ठीक सुन सकते हैं ।
मधुप्रमेह के कई रोगियों को उन्होंने भीडी के प्रयोगसे ठीक किया है । असाध्य .मधुप्रमेह के कारण शस्त्रक्रिया में बाधा होती थी ऐसे भी रोगी भीडी के प्रयोगसे ठीक हो गये हैं ।
अर्स रोग को वे केवल एक ही बार दवाई देकर केवल ६ घंटोंमे मिटाते हैं ।
___ अधिक या कम रक्तचाप के कई रोगियों को उनके उपचार से स्वास्थ्य लाभ हुआ है।
दिनमें ट्रान्सपोर्ट के व्यवसायमें व्यस्त होने से वे प्रतिदिन शाम को ७ बजे से लेकर रात को ११ बजे तक अनेक मरीजोंका इलाज अपने घरपर ही करते हैं । खास विशेषता यह है कि वे किसी भी रोग के उपचार के बदले में एक रुपया भी नहीं लेते हैं । बिल्कुल मुफ्त सेवा ही करते हैं। .
अगर वे चाहते तो लाखों-करोड़ों रूपये इस उपचार पद्धति से अर्जित कर सकते हैं, लेकिन ऐसी प्राकृतिक भेंट को वे आजीविका का साधन बनाने में पाप मानते हैं । सच तो यह है कि ऐसी निःस्पृहता होती