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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ जाकर वहाँ के लोगोंको नवकार महामंत्रकी महानता समझाते हैं और उसकी साधना के विषयमें मार्गदर्शन देते हैं ।
नवकार महामंत्र का शुद्ध उच्चार करने के बारेमें वे खूब भार देते हैं। शुद्ध और अशुद्ध उच्चार करने से विश्व के पाँच महाभूत (पृथ्वी-पानी-अग्नि-वायु और आकाश) के उपर कैसा अलग अलग प्रभाव पड़ता है यह बात उन्होंने विदेश के वैज्ञानिकों के सहयोगसे प्रयोग करके सिद्ध किया है।
कच्छी दशा ओसवाल ज्ञातिके मुखपत्र 'प्रकाश समीक्षा' मासिक में दामजीभाई के 'सरल योगदर्शन' के विषयमें करीब १३ लेख प्रकाशित हुए । हैं, जो जिज्ञासुओं के लिए खास पठनीय हैं।
आध्यात्मिक साधना के अलावा व्यवहारमें भी वे अंग्रेजों के समयमें और आज भी सरकारमें अच्छा संबंध रखते हैं । दि. १४-४१९४४ में मुंबईमें प्रचंड विस्फोट हुआ था तब एवं उसके बाद भी अकाल, अतिवृष्टि, भूकंप आदि अनेक प्रसंगोंमें सरकार की विज्ञप्ति से उन्होंने अनुमोदनीय लोकसेवा की है । इ.स. १९९४ के एप्रिल महिने के 'जन्मभूमि' अखबारमें दामजीभाई की लोकसेवाओं पर सुन्दर प्रकाश डाला गया है।
वि.सं. १९६७ में अषाढ शुक्ल २ के दिन जन्म धारण किये हुए दामजीभाई आज ८८ साल की उम्रमें भी नवकार महामंत्र की साधना प्रतिदिन उल्लासपूर्वक करते हैं ।
पता : दामजीभाई जेठाभाई लोड़ाया २०/२१, 'दिव्य महाल', ज्ञानमंदिर रोड़, दादर-मुंबई ४०००२८ फोन : २६६०७२४ - २६६०३४६ ओफिस
४२२३४८३ घर