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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग
हजार यात्रिकों को १०० दिन पर्यंत ९९ यात्रा करानेवाले बंधु युगल संघवी, संघरत्न श्री शामजीभाई एवं मोरारजीभाई गाला
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पिछले कई वर्षोंसे हर साल पालितानामें अलग अलग १२ - १३ धर्मशालाओं में भिन्न भिन्न संघपतियों की ओरसे श्री सिद्धाचलजी महातीर्थ की सामूहिक ९९ यात्रा का आयोजन किया जाता है । हरेक यात्रा संघ में प्राय: ३००-४०० जितनी संख्यामें यात्रिक होते हैं और लगभग २ या २ || महिनोंमें यह आयोजन पूर्ण हो जाता है । किन्तु वि. सं. २०३५ में कच्छी समाज के सैंकडों वर्षों के इतिहासमें प्रथमबार कच्छ - मोटा आसंबीआ गाँव के संघवी संघरत्न श्री शामजीभाई जखुभाई गाला और उनके लघुबंघु श्री मोरारजीभाई गालाने १ हजार जितने यात्रिकों को एक साथ ९९ यात्रा करवाने का अत्यंत अनुमोदनीय लाभ लिया था ।
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८ वर्षसे लेकर ७८ वर्षकी उम्रके यात्रिक उसमें शामिल थे । वे सभी सुगमता से हररोज एक एक यात्रा करके अच्छी तरह से प्रभुभक्ति कर सकें ऐसी भावनासे यह आयोजन १०० दिन तक रखा गया था !...
कन्वीनर श्री मावजीभाई वेलजी गड़ा ( कच्छ-मोटा रतडीआवाले) और श्री प्रेमजीभाई देवजी ( कच्छ - गोधरावाले ) ने अत्यंत कुशलता से इस कार्यक्रम का संचालन किया था इसलिए संघपति भी एकदम निश्चित होकर ९९ यात्रा कर सके थे ।
प्रतिदिन प्रातः प्रतिक्रमण एवं भक्तामर स्तोत्रपाठ के बाद मांगलिक श्रवण करके ढोल - शहनाई की सुरावलि के साथ विविध धार्मिक नारे एवं जयनादों से आकाश मंडल को नादमय बनाते हुए एक हजार यात्रिक शिस्तपूर्वक राजेन्द्र विहार धर्मशाला से प्रयाण करके श्री शत्रुंजय गिरिराज की तलहटीमें उत्तम द्रव्यों से तीर्थाधिराज का पूजन करके सामूहिक चैत्यवंदन करते थे । उस समय के अपूर्व दृश्य को देखकर बड़े बड़े आचार्य भगवंत भी विचार मग्न हो जाते थे कि आचार्यादि पदस्थों की निश्रा के बिना, केवल ३ छोटी उम्रवाले मुनिवरों (मुनि श्रीकवीन्द्रसागरजी