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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ सं. २०४९ में हमारा चातुर्मास मणिनगरमें था तब उपाश्रयसे अपना घर २ कि.मी. दूर होते हुए भी ८४ वर्षकी उम्रवाले अनुप्रसादजी प्रवचन सुनने के लिए अक्सर आया करते थे । अठ्ठम तपके दौरान बुखार आने पर भी उन्होंने दृढ मनोबल से अठ्ठम तप पूर्ण किया था ।
__शंखेश्वर तीर्थमें आयोजित अनुमोदना समारोहमें वे उपस्थित रहे थे। उनकी तस्वीर पेज नं. 15 के सामने प्रकाशित की गई है।
गत वर्ष उन्होंने १ क्रोड ११ लाख नवकार जप किया था, तब प्रातः ६ बजेसे लेकर रातको १० बजे तक नवकार महामंत्रका जप करते थे । वृद्धावस्थामें भी कितनी अनुप्रमत्तता !!! इससे पूर्व श्रीजीरावला पार्श्वनाथका सवा लाख जप भी किया था ।
पता : वैद्यराज अनुप्रसादभाई ७, महेशकुंज सोसायटी, जूना ढोरबजारके पास, बलीयाकाका रोड, शाह आलम येलनाका, मणिनगर (W), अहमदाबाद (गुजरात) पिन : ३८००२८.
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श्रावकों के सत्संगसे कबीरपंथी जुलाहा श्री बाबुलालभाई का जीवन परिवर्तन
मध्यप्रदेश के कुक्षि गाँवमें रहते हुए बाबुलालभाई (उ. व. ७७) का जन्म जुलाहा (कपडे बुननेवाला) जातिमें हुआ है । कुल परंपरा से वे कबीरपंथी हैं । मगर पिछले १४ वर्षों से वे सुश्रावक श्री खेमचंदजी और उनके सुपुत्र मणिलालभाई और पौत्र मनोहरलालभाई वकील के निकट के परिचयमें आये हैं । यह पूरा परिवार जैन धर्म से अच्छी तरह रंगा हुआ है । परिणाम स्वरूप उनके सत्संग का बाबुलालभाई के मानस पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसकी फलश्रुतिमें वे प्रतिदिन जिनमंदिरमें जाकर प्रभुदर्शन करते हैं । शामको चौविहारका पच्चक्खाण करते हैं और नियमित रूपसे नवकार महामंत्रकी माला गिनते हैं ।