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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? | धीमी गति से, किंतु धाराप्रवाह जप शुरू हुआ...
कितना समय हुआ उसका मुझे पता नहीं, किंतु ऐसे धाराप्रवाह श्री नवकार महामंत्र के जाप में खो गया। प्रति घंटे घंटी बजाकर नर्स का ध्यान आकर्षित कर मोर्फीया का इंजेक्शन लेने वाला मैं करीब तीन घंटे तक बिल्कुल शांति से ध्यानस्थ बनकर बिस्तर पर पड़ा रहा। | परिणाम स्वरूप दस-दस मिनट से होने वाली उल्टियां बंद हो गई। कमर का असह्य दर्द सामान्य हो गया। वेदना और पीड़ा से उत्पन्न हो रही विह्वलता गायब हो गयी! मैं आंतरिक परमशांति के साथ श्री नवकार महामंत्र के स्मरण की घेन में पड़ा रहा।
मेरी यह स्थिति देखकर श्राविका ने मुझसे बोलचाल नहीं की और किसी भी कारण मेरे स्वामीनाथ निद्रामय हो गये हैं, या घेन की गहरी असर उन पर छा गयी है, तो अब बाद में बात, ऐसा सोचकर वह नहाने-धोने का जरुरी काम निपटाने रुम में गयी।
दर्द की असह्य पीड़ा से पीड़ित होकर प्रति घंटे घंटी बजाकर नर्स का ध्यान आकर्षित करने वाले डॉ झवेरी ढाई से तीन घंटे होने के बाबजूद क्यों हिल-डुल नहीं रहे हैं? रोग की वेदना को चीखों द्वारा क्यों व्यक्त नहीं कर रहे हैं?... कहीं डॉक्टरों के कहने के मुताबिक डॉ. झवेरी मर तो नहीं गये हैं...!!!
मेरी देख-रेख में रही नर्स ने बिना हिलने-डुलने के कारण मेरे शरीर को फिराकर नब्ज आदि की जाँच की, किंतु कुछ समझ में नहीं आने के कारण उसने सीनियर रेसिडेन्ट सर्जन डॉ. निकलसन को फोन करके तुरंत बुलाया।
डॉ. निकलसन स्फूर्ति से आये। भयंकर चीखने-चिल्लानेवाले, उल्टियों से त्रस्त हुए मुझे शांत निद्रा में सोया हुआ देखकर, डॉ. निकलसन ने साथी डॉक्टरों को साथ में लेकर नाड़ी-हार्ट-ब्लडप्रेशर आदि की जाँच की, तो उन्हें अस्पताल के घंटे-घंटे के चार्ट में दर्ज रिपोर्ट से
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