SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? फोन किया। उनके साथ फोन पर मेरे रोग की भयंकरता, ऑपरेशन की अनिवार्यता, देश की प्रतिष्ठा, 'सर ज्योफ्री नाइट अवकाश पर हैं, आदि बातें कीं। डॉ. रीड ऐसे विचित्र स्वभाव के थे, कि आउट ऑफ ड्यूटी के समय कितनी भी इमरजेन्सी में अस्पताल में पैर नहीं रखते । 'सर्विस के समय सर्विस' के सिद्धान्त पर जड़ता से चलने वाले थे। यह सब होने के बावजूद भी मेरे पुण्य से प्ररित होकर डॉ. रीड का पत्थर हृदय भी पिघल गया। पूरे अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों, कर्मचारियों आदि सबके भारी आश्चर्य के बीच ऑफ ड्यूटी के समय (बीस वर्ष की उनकी सर्विस में कभी ऐसा नहीं हुआ था फिर भी) डॉ. रीड मेरी जाँच करने शनिवार प्रातः सात बजे आये । 'ओ बाप रे!' 'ओ डॉक्टर ! मुझे बचाओ', 'नहीं रहा जाता' आदि चिल्लाते हुए मेरी जाँच उन्होंने की। डॉ. रीड बोले कि - " यह कोई खास गंभीरता की बात नहीं है। हम सुबह तक राह देखते हैं, ऐसा कहकर चले गये। किंतु मेरे पाप कर्मों ने अधिक जोर पकड़ा, दर्द अति असह्य होने लगा। चीखें, रोने, चिल्लाने से डिपार्टमेंट गरज उठा। मुझे प्रति घंटे मोर्फीया के इंजेक्शन से घेन में रखा जाता था, तो भी घेन का असर कम होते ही चीखने-चिल्लाने की आवाज शुरु हो जाती । इस तरह शनिवार का पूरा दिन दर्द, घेन, चीखने-चिल्लाने में पूरा हुआ। रविवार को सुबह ऑपरेशन के लिए पूर्व तैयारियाँ शुरु हुईं। डॉक्टरों की दृष्टि में मेरी हालत अत्यंत नाजुक थी। ऑपरेशन करने के बाद भी 90 प्रतिशत तो क्या 95 प्रतिशत आशा नहीं थी, कि रोगी जीवित रहेगा, इसलिए मेरी सार संभाल में खड़े पैर रहने वाली श्रीमती झवेरी के हस्ताक्षर CEMATION MORF पर कराने की सर्जन की सूचनानुसार ड्यूटी " डॉ. पर तैनात डॉक्टरों ने नर्स को सूचना दी। किंतु साथ में कहा ि 38
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy