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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? के कषायों को नहीं करने वाले।
पांच महाव्रत : (1) प्राणातिपात विरमण : किसी भी प्रकार की हिंसा का त्याग करना।
(2) मृषावाद विरमण : किसी भी प्रकार का झूठ नहीं बोलना (3) अदत्तादान विरमण : किसी भी प्रकार की चोरी नहीं करना। (4) मैथुन विरमण : कामभोग का सर्वथा त्याग करना। .
(5) परिग्रह विरमण : किसी भी वस्तु का मूर्छा से संग्रह नहीं करना। इन पांच महाव्रतों को धारण करने वाले
पांच प्रकार के आचार (1) ज्ञानाचार : जिस क्रिया या नियम के अनुसरण से सम्यक् ज्ञान की वृद्धि होती है।
(2) दर्शनाचार : जिस क्रिया या नियम के अनुसरण से सम्यग्दर्शन (शुद्ध श्रद्धा) की वृद्धि होती है।
(3) चारित्राचार : जिस क्रिया या नियम के अनुसरण से सम्यक् चारित्र की वृद्धि होती है।
(4) तपाचार : जिस क्रिया या नियम के अनुसरण से सम्यक् तप की वृद्धि होती है।
(5) वीर्याचार : संयम-तप आदि में बल एवं पराक्रम का ज्यादा से | ज्यादा उपयोग करना।
उपरोक्त सुविहित आचारों का पालन करते हैं।
पांच समिति : समिति अर्थात -सम्यक् प्रवृत्ति ईर्या समिति : किसी जीव को तकलीफ न हो उसकी सावधानी रखते हुए चलना। | भाषा समिति : शास्त्र की आज्ञानुसार निरवद्य पाप रहित वचन बोलना। एषणा समिति : 42 दोष रहित गौचरी लेना। आदान निक्षेपणा समिति : वस्त्र, पात्र आदि सावधानी से लेना एवं रखना। परिष्ठापनिका समिति : मल, मूत्र, श्लेष्म आदि का सावधानीपूर्वक
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