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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? ____ अर्थ : सभी दुःखों से सर्वथा पार हुए और जन्म, जरा, मृत्यु के |बंधन से मुक्त बने सिद्ध शाश्वत एवं अव्याबाध सुख का अनुभव करते हैं। अर्थात जिनको मोक्ष की प्राप्ति हुई है, वह सिद्ध कहलाते हैं।
आचार्य महाराज और उनके छत्तीस गुण
पांच आचार का पालन करने वाले, पालने का उपदेश देने वाले और साधु प्रमुख को पांच प्रकार के आचार को दिखाने वाले, गच्छ के नायक आचार्य महाराज कहलाते हैं। उनके गुणों का स्वरूप इस प्रकार है।
पांच इन्द्रियां : (1) स्पर्श (त्वचा) (2) रसना (जीभ) (3) घ्राण | (नाक) (4) चक्षु (आंख) (5) श्रोत्र (कान) इन पांचों इन्द्रियों के 23 विषयों में मनपसंद पर राग एवं अच्छा नहीं लगने वाले पर आचार्य महाराज द्वेष नहीं करते हैं।
ब्रह्मचर्य की नो बाड़ें (मर्यादाएं)1 जहां पर स्त्री, पशु व नपुंसक रहते हों, ऐसे स्थान का त्याग करना। 2 स्त्रियों के साथ एवं स्त्रियों से संबंधी बातें नहीं करना। 3 जहां पर स्त्री बैठी हो, उस स्थान पर 48 मिनट तक नहीं बैठना। 4 स्त्री के अंगोपांग न देखना। 5 दीवार के पीछे दम्पती रहते हों, उस स्थान का त्याग करना। 6 पूर्व काल में स्त्री के साथ क्रीड़ा की हो, तो उसका स्मरण न
करना। 7 मादक पदार्थ-प्रमाण से अधिक घी आदि से युक्त भोजन न करना। 8 प्रमाण से अधिक भोजन न करना। 9 स्नान, इत्र, तेल, सेंट, आदि से शरीर की शोभा बढ़ाने का त्याग
करना। इन नौ प्रकार की शियल व्रत की बाड़ों को धारण करने वाले। चार प्रकार के कषाय : क्रोध, मान, माया, लोभ। इन चार प्रकार
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