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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
| पवित्र सस्मरण एवं स्वयं के अनुभव
___ आज से तीस वर्ष पूर्व की यह बात है। हालार प्रदेश के जामनगर जिले में हमारे मूल गांव मोटामांढा में पंन्यासजी श्री भद्रंकरविजयजी म.सा. चातुर्मास हेतु विराजमान थे। उसी समय में श्री वासुपूज्य स्वामी आदि दो जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा एवं एक युवान केशुभाई (श्री कमलसेन वि.म.) की दीक्षा भी खूब उल्लास पूर्वक हुई थी। उस समय हम नवकार मंत्र का जाप करते, किन्तु कोई समझ-श्रद्धा या ज्ञान-विश्वास वगैरह कुछ नहीं था। केवल सभी जाप करते थे, इसलिए हम भी जाप करते थे। किन्तु पूज्य श्री ने व्याख्यान द्वारा अचिंत्य अकल्प्य ऐसे चिंतामणि रक्त नमस्कार महामंत्र के प्रभाव का ज्ञान देकर गुरुदेव श्री ने हमारे ऊपर जो उपकार किया है, उसे कभी भी भूला नहीं सकते।
गुरुदेव श्री कहते किसी भी कार्य को करने से पहले, सोते, बैठते किसी भी संयोगों में नवकार मंत्र गिनकर ही कार्य की शुरूआत करने से कार्य सफल हो जाता है। इससे हमको भी अप्रमत्त रूप से श्रद्धा हो गयी। यह पूज्य श्री अध्यात्मयोगी नवकार वाले . महाराज साहेब के नाम से हालार में प्रसिद्ध हो गये।
मैंने एक बार व्याख्यान के बाद गुरुदेव के पास में बैठकर बात की। तब मेरी उम्र 15 वर्ष की थी। हमारी बाड़ी में दोपहर के समय हमेशा शिकारी खरगोश का शिकार करके जाता है। वह देखकर मैं सहन नहीं कर पाता हूँ। इस निर्दोष प्राणी को बचाने के लिए कुछ उपाय बताओ।
पूज्य श्री ने सुन्दर-सरल-उत्तम उपाय बताते हुए कहा कि शिकारी जब भी दिखाई दे, तुम नवकार महामंत्र का स्मरण चालु कर देना, भले ही अपना खेती का कार्य करते हो। मुंह से बोलने के साथ श्रद्धा होगी तो नवकार जाप का प्रभाव पड़ेगा। उसे एक भी शिकार हाथ नहीं लगेगा। ___ यह प्रयोग मैंने दूसरे दिन ही शुरू कर दिया। वास्तव में शिकारी
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