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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
दोपहर में काफी दौड़ भाग करने के बाद भी एक भी शिकार प्राप्त नहीं कर सका। यह क्रिया मैंने प्रतिदिन चालु रखी। शिकारी को देखते ही जाप प्रारंभ कर देता। जिससे 10-15 दिन में एक भी शिकार नहीं मिलने से शिकारियों ने वाड़ी में आना ही बन्द कर दिया और इन निर्दोष प्राणियों का बचाव हो गया।
इसी प्रकार सं. 2045 में गोरेगांव में मेरे अनाज, किराणे की दुकान थी। तब ग्राहक को उधार देने से मना करने पर वह तीन-चार जने मुझे मारने दौड़े आये । परन्तु मैंने नवकार का जाप शुरू किया और मैं बच गया। नवकार मंत्र को इसीलिए संकट मोचक कहा गया है। विघ्नों का हरण करने वाली, सुख-शान्ति और मेल-मिलाप देने वाली और परम्परा से मोक्ष तक पहुंचाने वाली यह एक शाश्वत सीढी है।
लेखक : श्री जे.के. शाह जोगेश्वरी-मुम्बई
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" वैश्विक महामंत्र नवकार"
जैन धर्म भारत की प्राचीन दार्शनिक परम्परा है। मंत्र एक शक्ति है, यह बात सभी जगह स्वीकार हुई है। जैन धर्म का आदि महामंत्र नवकार सिद्ध मंत्र है। यह मंत्र वैश्विक, गुणपूजक और सम्प्रदाय रहित है। नवकार मंत्र के प्रथम पद में अपने अन्दर के कषाय हटाकर, कर्म की निर्जरा कर, मानव मात्र को आत्मकल्याण का मार्ग बता रहे हैं, ऐसे अरिहंत प्रभु को वन्दन करना है। दूसरे पद में, तमाम कर्मों का क्षय करके अपनी आत्मा को मोक्ष पद में स्थिर किया है, ऐसे सिद्ध भगवंतों को नमस्कार करना है। तीसरे पद में पंच महाव्रत का उत्कृष्ट आचरण करें और अन्य को वैसा करने की प्रेरणा देने वाले आचार्य भगवंतों को और चौथे पद में सिद्धान्त के पारगामी, ज्ञान का प्रकाश बिखेरने वाले उपाध्यायजी को नमस्कार करना है। नवकार के पांचवे पद में समग्र सृष्टि के साधुत्व का वरण किये हुए आत्माओं को वन्दन करना है। इस मंत्र का उद्देश्य पंच
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