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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
से आज तक प्रतिदिन माला गिनना चालु है। 16 वर्ष की उम्र में प.पूज्य पंन्यास श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. डहेलावाला की निश्रा में उपधान तप कर विधिपूर्वक श्री नवकार महामंत्र की वाचना ली। इस प्रकार पूज्य गुरुभगवन्तों की प्रेरणा से आज तक नवकार महामंत्र के जाप की साधना चालु है। इससे जीवन में साधारण स्थिति में भी प्रसन्नता एवं शान्ति अनुभव की है और धार्मिक संस्थाओं की सेवा भी अच्छी प्रकार से की है। इस प्रकार मुझे समाज में भी सभी सम्मान की दृष्टि से आदर करते हैं।
इस प्रकार अभी मेरी उम्र 87 वर्ष की होने के बावजूद भी मुझे किसी भी प्रकार की आधि, व्याधि एवं उपाधि नहीं है।
लेखक : श्री वरधीलाल वमणशी सेठ 191 घोगटे मेन्शन, दूसरा माला, गुलालवाड़ी, मुम्बई
नवकार अनानुपूर्वी के प्रताप से
अंदाज से सं. 2012 (ई.स. 1955 ) में में आकोला में कच्छी मेमण के यहां नौकरी करता था। उनके यहां बरेली के एक फकीर कभी-कभार आते और मेरे सेठों के साथ जादु मन्तर आदि की चर्चाएं करते थे। मेरे दिमाग में यह बातें नहीं उतरती थीं। अन्त में मैंने उसे चेलेन्ज दिया कि, मैं अपने नवकार महामंत्र का जाप करता हूँ। आपको मेरे ऊपर मंतर का प्रयोग करना है। आसपास की दुकानों से 2-4 लोग आये। फकीर ने मोर पंखुड़ी के गुच्छे से 2-4 मंत्र पढ़कर मेरे माथे पर मारी । मुझे कुछ भी नहीं हुआ । फकीर शरमा गये और निराश होकर हार कबूल कर ली। मेरी आयु 79 वर्ष की उम्र में मुझे कई बार श्री नवकार महामंत्र के अनानुपूर्वी के जाप से चमत्कारिक रूप से लाभ हुए हैं।
आज भी मुझे श्री और जाप चालु है।
नवकार महामंत्र तथा अनानुपूर्वी पर पूर्ण श्रद्धा है लेखक : श्री बलवन्तराय गोपालजी वोरा 11, सिल्वर एपार्टमेंट, आकुरली क्रोस रोड़ नं. 1 कांदीवली (ईस्ट) मुम्बई 400101
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