________________
-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - के बाद ननिहाल पक्ष ने गंदाला गांव में भोजन का आमंत्रण दिया। ____ हम सब बैठे थे। मेरे मामी खाना खाकर मुंह में सुपारी का टुकड़ा डालकर हमारी बातों में शामिल हुए। अचानक खांसी आने से सुपारी का टुकड़ा श्वासनली में फंस गया। श्वास रूंधने लगा। सबके प्राण ऊंचे हो गये। गांव में से डॉक्टर आया। मुन्द्रा से बड़े डॉक्टर को बुलाया। कोई उपाय कामयाब नहीं हुआ। पूरा गांव इकट्रा हो गया, सभी को लगा कि अब यह नहीं बच सकेंगे। सभी के चेहरे उदास हो गये। तब मेरे अंतर में से आवाज आई कि इस मौके को पकड़ ले। नवकार मंत्र का प्रयोग आजमाकर देख ले। में किसी को कहे बिना अन्दर के कमरे में गया। वहां गिलास में थोड़ा पानी लिया। हाथ में गिलास लेकर मैं ईशान दिशा की
ओर मुंह रखकर, नवकार मंत्र गिनने लगा। मैं पांच-छ: मिनट नवकार गिनकर पानी में पांच बार फूंक मारकर बाहर आया। वहां मैंने सभी के सामने मामी को पानी पिला दिया। जैसे ही पानी अन्दर गया, उल्टी के साथ सुपारी का टुकड़ा भी बाहर आ गया। मामी एकदम स्वस्थ हो गये, जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। इकटे हुए सभी को आश्चर्य हुआ। मुझे सभी कहने लगे कि, 'क्या जादु किया?' मैंने कहा, 'कुछ नहीं, देव-गुरु-धर्म और नवकारमंत्र के प्रभाव से, अपने सभी के नसीब से मामी संकट में से बच गये। अभी वे जीवित हैं। वह बड़ी उम्र में धर्म आराधना, तप-त्याग से मानव जीवन सफल बना रहे हैं। इस प्रथम प्रयोग से मेरी नवकार के प्रति श्रद्धा और गहरी हुई। मेरा पुरुषार्थ सफल हो गया।
एक बार हमारी गाय जो एक बार में चार लीटर दूध देती थी, उसने एकाएक दूध देना बन्द कर दिया। मैं संयोग से देश (कच्छ) में था। माँ ने मुझे बात की। मैं तुरन्त ही चरवला (सामायिक का उपकरण) लेकर गाय के ऊपर नवकार गिनकर घुमाने लगा। 5-6 मिनट वह क्रिया की। गा कान में मैंने नवकार सुनाया। गाय के पूरे शरीर पर हाथ घुमाया। फिर मां को कहा कि, अब आओ, बर्तन लेकर गाय को दोहने बैठो।' मां, ना-ना कर रही थीं, किन्तु मैंने कहा, 'आप प्रयत्न तो करो।' मेरे कहने से मां गाय दोहने बैठी तो थोड़ी देर में चार लीटर का बर्तन दूध से भर
350