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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
गया। मां को भी आश्चर्य लगा। मामी की घटना की जानकारी उन्हें थी ही, इसलिए कहा कि वास्तव में नवकार मंत्र एवं धर्म का प्रभाव महान
है।
हमारे पास के घर में माजी अकेले रहते थे। एक दिन सवेरे उन्हें उठते समय सांप ने काट दिया। मैं तब सामायिक में था। मैं सामायिक पूर्ण होते ही इनके घर गया। पूरा मोहल्ला इकट्ठा हुआ था। सांप को खोजते सांप कहीं दिखाई नहीं दिया। मुझे पूरी बात सुनायी। मेरे मन में नवकार मंत्र का स्मरण ही था, मैंने केवल एक ही नजर में दरवाजे के ऊपर शान्त बैठे सांप को सभी को बताया। नवकार मंत्र, पार्श्वनाथ प्रभु का स्मरण, भक्तामर स्तोत्र की 41 वीं गाथा "रक्तेक्षणं समद कोकिल कंठ नील" यह गिनते सण्डासी से सांप को तकलीफ न हो वैसे ही पकड़कर निर्भय स्थान पर छोड़ आया। फिर माजी को जिस अंगुली में सांप ने काटा था, वहां चरवला घुमाकर पांच-छः मिनट तक नवकार गिने । माजी की वेदना कम हो गयी। मैंने एक बहिन का बिच्छू का जहर भी नवकार मंत्र से उतारा। मुझे ऐसे कई छोटे-बड़े चमत्कार नवकारमंत्र से प्राप्त हुए हैं।
जीवन के अन्तिम श्वास तक नवकार मंत्र का स्मरण निरंतर रहे, ऐसी सद्भावना के साथ हम सभी अनमोल मानव भव को सार्थक करने के लिए, अरिहंत देव, सुसाधु गुरु एवं केवली प्ररूपित जैन धर्म की आराधना कर, नवकार मंत्र का स्मरण करते-करते कर्म क्षयकर मुक्ति मंजिल को प्राप्त करें। जय जिनेन्द्र
लेखक : श्री उमरशी शिवजी सतरा विमल स्टोर्स, हंसराज शिवजी चाल, एल. बी. एस. मार्ग, भांडुप, मुम्बई- 78
अनंत शक्ति का भंडार, महामंत्र नवकार
मैं छोटी (14-15 वर्ष की उम्र में एक दिन राधनपुर में तालाब पर
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