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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - के बाद बस में ताला लगा दिया। सवेरे 6 बजे बस रवाना हुई। मैं सात बजे भुटकीआ-भीमासर पहुंच गया। मैंने पूरी बात रिश्तेदारों को बताई। मेरे रिश्तेदार ने कहा कि, "आप भाग्यशाली हैं कि आप जीवित आये। पलांस्वा गांव के श्मशान से कोई रात में जीवित वापिस नहीं आता है। किसी को रात में बंदूक देकर भेज दो, तो भी वह जाने को तैयार नहीं होगा। रात को 12 बजे के बाद चाहे उतने पैसे दे दो तो भी कोई भी वहां जाने को तैयार नहीं होता है।" नमस्कार मंत्र के प्रभाव से ही मैं वापिस जीवित अहमदाबाद आया। में चलते फिरते उठते-बैठते नमस्कार मंत्र का जाप करता रहता हूँ। शाम को सोते वक्त एवं सवेरे उठते समय प्रतिदिन नमस्कार मंत्र का स्मरण करता हूँ। लेखक - श्री डाह्यालाल चत्रभुज मोथारिया सी/6 जेठाभाई पार्क, पालड़ी, अहमदाबाद- 380007 बेटी-जवांई प्राणघातक दुर्घटना से बचे आसोज मास की आंयबिल की ओली चल रही थी और मन्दिर में फोन आया कि जल्दी घर आओ। जरूरी काम है। मेरी छाती की धड़कन बढ़ गयी, कि क्या हुआ होगा। हमारी एक ही पुत्री 'बीना, वो भी हजारों कोस दूर अमरीका में रहती थी। मैंने खुद ने वैष्णव के साथ शादी की है। सन् 1992 में उस समय हमारे यहां.प. पू. आचार्य श्री यशोवर्मसूरिजी म. साहेब का चातुर्मास वालकेश्वर बाबु पन्नालाल के उपाश्रय में था। घर आते पता चला कि मेरी पुत्री बीना एवं जवांई की प्राणघातक दुर्घटना हुई है। उनकी हालत बहुत गंभीर है। उस समय की हमारी स्थिति का वर्णन | करने हेतु शब्द नहीं हैं। मेरी ईश्वर ऊपर की श्रद्धा चलायमान हो गयी। दूसरे दिन मेरे पति गुरुजी के पास गये। वह जाते ही गुरुजी के पैरों में पड़ गये। तब उन्होंने प्रेम से उन्हें समझाकर मुझे भी साथ लाने को कहा। इसी पर्युषण में गुरुजी के समागम से ही 60 वर्ष की उम्र में 335
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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