________________
- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? मिल जाये ऐसी शुभ शुरूआत क्या अपने जीवन में नहीं आयेगी?
भाषा में कहीं अतिशयोक्ति हुई हो, जिनाज्ञा के विरूद्ध कुछ लिखा गया हो, गुरुजनों के प्रति कुछ अविनय हुआ हो और पंचपरमेष्ठी एवं नमस्कार महामंत्र के प्रभाव के बारे में लिखने में असमर्थ साबित हुआ हूँ, तो अंतःकरण से क्षमायाचना करता हूँ।
लेखक : श्रीरामजी रायशी सावला (मनफरावाले) महावीर स्टोर्स, ग्रान्ट रोड़ (पूर्व), स्टेशन के सामने मुम्बई-400007
नवकार मंत्र की अनुभूति त नागपुर में आचार्य सम्राट परम पूज्य वंदनीय श्री 1008 श्री आनन्दऋषिजी महाराज साहेब का चातुर्मास हुआ था। मुझे आचार्य श्री के सत्संग का अच्छा लाभ मिला। प्रतिदिन सामायिक, प्रतिक्रमण, तपस्या आदि प्रवृत्तियां चलती थीं। पर्युषण नजदीक आ रहे थे। तब आचार्य श्री के आगे पर्युषण के आठ दिन नवकार मंत्र का जाप करने की इच्छा व्यक्त करते हुए उनकी आज्ञा मांगी। आचार्यश्री ने प्रेरणा देते हुए जाप करने की आज्ञा दी।
मेरे छोटे घर में नीचे तलगृह (भोयरा) था। वहां आवाज वगैरह नहीं आती थी। वहां एक बाजोट के ऊपर आसन रखा। मैंने ऐसा संकल्प किया कि आठ दिन बाहर नहीं निकलना। भोजन की थाली एक बार नीचे आ जाती थी। नीहार के लिए सवेरे बाहर आना पड़ता था। उसके अलावा बाहर आने का कोई प्रयोजन नहीं था। मैं तलगृह के अन्दर ही सोता था। में उस आठ दिन के दौरान मौन रहा।
सवेरे पांच बजे से रात दस बजे तक सतत नवकार मंत्र के पांच पदों का जाप चालु था। दोपहर के भोजन एवं थोड़े विश्राम के अलावा सभी प्रवृत्तियां बन्द थीं।
मैंने प्रथम दिन मस्तक के केन्द्र भाग में ध्यान केन्द्रित कर पांच
330