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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? सीमित शक्ति और बुद्धि के बाहर की बात है। दूसरे मंत्र तो गिनने में गड़बड़ हो, तो विपरीत असर करते हैं, नुकसान पहुंचाते हैं, जबकि यह महामंत्र कभी किसी पर कोपायमान नहीं होता है। यह अविनय, अशुद्धि, गड़बड़ आदि अपराधों को हंसते मुंह माफ कर साधक का केवल हित-उपकार ही करता है। इसकी दृष्टि में अमीर-गरीब, राजा-रंक, सुखी-दुःखी, छोटा-बड़ा, ज्ञानी-अज्ञानी सभी समान हैं।
__ चरवाहे के पास अमूल्य रत्न की क्या कीमत? हम भी सहज रूप से मिले इस अमाप शक्ति के महासागर समान महामंत्र के आगे इसकी सही कद्र नहीं करते, न ही इसका भव्य सम्मान कर सकते , न ही इसके ऐश्वर्य का लाभ उठा सकते। कुछ ही समय में मानव में से महामानव बनाकर मोक्ष तक पहुंचा सके, ऐसी महाशक्ति के पास दुनिया के सुखों की भीख मांगकर कैसी दरिद्रता का प्रदर्शन कर रहे हैं!
आचार्य, उपाध्याय, साधु इन गुरुतत्त्वों एवं अरिहंत-सिद्ध भगवंतों के लोकोत्तर गुणों वगैरह का अत्यंत ही आदरपूर्वक वंदन द्वारा हदय को अति नम्र बनाकर, हदय को राग-द्वेष से मुक्त रखने का पुरूषार्थ ही इस महामंत्र की सच्ची साधना है। हदय को निर्मल या दोषरहित बनाये बिना आध्यात्मिक विकास संभव नहीं है। जहां जहां असंभव, अतिमुश्किल लगता है, वहां ही इस महामंत्र की साधना का चमत्कार होता है। इसकी शरणं लेते ही प्रतिकूलताएं, अनुकूलताओं में बदलने लग जाती हैं। अंधकार-तिमिर के बादल हटने लगते हैं। बुद्धि जहां हार स्वीकार करती है, वहां श्रद्धा सफलता के सौपान तैयार करती है।
इस महाप्रभावक मंत्र का अनजान में भी कम मूल्य मत आंकना। इसकी शरण में जाने के बाद भी तुम्हें असंतोष का अहसास हो, तो समझना कि तुम ही कहीं भटके हो, श्रद्धा कहीं डिगी है। कुबेरों के कुबेर जैसे दाता को पहचान नहीं सके हो।
एक-एक धड़कन में, जीवन की हर क्षण, श्वास-श्वास में महामंत्र
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