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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? की किसी की इच्छा नहीं थी। सभी का प्यास से गला सूख गया था। अब क्या करना? आखिर विचार आया कि, दादा की यात्रा की है, क्या दादा रास्ता नहीं बतायेंगे? नवकार मंत्र का जाप शुरू कर देते हैं। आधे घण्टे तक सभी सतत महामंत्र का स्मरण कर रहे थे। उतने में दो-चार बकरियों की आवाज आयी। जरूर कोई आदमी चरवाहा होगा, ऐसी आशा बंधी। हमें थोड़ी देर में एक चरवाहे जैसा वृद्ध आदमी दिखाई दिया। वह नजदीक आकर बोला, "अरे! तुम लोग यहाँ कहाँ भूल से आ गये हो, अभी सूर्यास्त होते ही यहाँ जंगली जानवर-हिंसक पशु आदि घूमने लगेंगे। यात्रालु लग रहे हो।" हम मुश्किल से बोल सके, "हां चाचा। हम स्टेशन जल्दी पहुँचने की लालच में निकले, किन्तु रास्ता भूल गये हैं। अब आप ही मदद करो।" चाचा हंसकर बोले, "चलो अभी ही स्टेशन पहुंचा देता हूँ।" हम इनके पीछे-पीछे चलने लगे। आधा घण्टा चलकर एक खुले मैदान के पास आये और वे बोले "देखो, सामने स्टेशन दिखाई दे रहा है। सावधानी से पहुंच जाओ।" हमने पैर उठाये। वह पीछे ही खड़े रहे। थोड़े कदम चले, तब मुझे विचार आया, चाचा का आभार मानना तो भूल ही गये। पीछे नजर घुमायी। किन्तु चाचा कहाँ? सभी बोले, "अरे, अभी तो चाचा अपने पीछे ही थे।" चारों ओर नजर घुमायी। इतनी देर में किस प्रकार अदृश्य हो गये ? सभी आश्चर्य अनुभव कर रहे थे। ____हमारे साथ का वह युगल बोला "इस नवकार मंत्र ने ही आज अपने का बचा लिया है। नहीं तो अपनी क्या हालत होती, कुदरत जाने।" सभी के हदय श्रद्धा से परमात्मा को झुक गये।
ऐसी ही एक दूसरी घटना याद आ रही है। बदमाश मकान मालिक ने परेशान करने हेतु एक रात 10-12 गुंडे भेजे। गुंडों ने असभ्य गालियों के साथ दरवाजे पर लातों की बौछार की। गुंडे हथियारों से युक्त थे। दरवाजे पर एक सामान्य चिटकनी ही थी। इसलिए प्राणों का पूरा भय था। आसपास वाले पड़ौसी भी लफड़े से बचने हेतु दरवाजे बन्द कर तमासा देखने लगे। दरवाजा किसी भी क्षण खुल जाने की सम्भावना थी। मन में सोचा कि अब नवकार गिनना ही शुरू कर दें। जो कुदरत को मंजुर
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